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संवेदनशील नहीं हुए, तो ककोलत की खूबसूरती को लग जायेगी नजर

नवादा नगर : ककोलत की प्राकृतिक छटा पर प्रदूषण की काली छाया मंडरा रही है़ पहाड़ों पर हरियाली बिखेर रहे छोटे पेड़ों को जलावन के रूप में और लकड़ी माफिया बड़े पेड़ों की कटाई में लगे हुए हैं़ इससे ककोलत की प्राकृतिक खूबसूरती कम हो रही है़ पर्यटकों के लिए कोई दिशा-निर्देश नहीं होने के […]

नवादा नगर : ककोलत की प्राकृतिक छटा पर प्रदूषण की काली छाया मंडरा रही है़ पहाड़ों पर हरियाली बिखेर रहे छोटे पेड़ों को जलावन के रूप में और लकड़ी माफिया बड़े पेड़ों की कटाई में लगे हुए हैं़ इससे ककोलत की प्राकृतिक खूबसूरती कम हो रही है़ पर्यटकों के लिए कोई दिशा-निर्देश नहीं होने के चलते लोग खाने का आनंद लेने के बाद झरना व इसके आसपास प्लास्टिक व थर्माकोल के ग्लास व प्लेट का ढेर लगा देते हैं़

इससे वहां गंदगी भी फैल रही है़ पर्यटकों के लिए सुबह से शाम तक खाना बनाने के लिए जलनेवाली लकड़ियों के धुएं व मांसाहारी दुर्गंध से भी वातावरण दूषित होता है़ स्थानीय लोग स्वीकारते हैं कि पहले थाली गांव के पास से ही शीतलता का अहसास होने लगता था़ अब ऐसा नहीं होता़ पर्यटन क्षेत्र में विशेष स्थान रखनेवाले ककोलत का संरक्षण कर इसकी प्राकृतिक खूबसूरती निखारने व इसे इको फ्रेंडली बनाने की जरूरत है. झरने के अलावा आस-पास के पेड़-पौधों व पशु-पक्षियों को भी रहने व बसने की आजादी देनी होगी तभी पर्यावरण का संतुलन बना रहेगा़

इको फ्रेंडली बनाने की जरूरत
ककोलत जलप्रपात को अन्य पर्यटन स्थलों की तरह इको फ्रेंडली बनाने की जरूरत है. घोड़ाकटोरा, पांडुपोखर आदि की तरह इको फ्रेंडली रूप से ककोलत को डेवलप करना होगा़ ताकि, पर्यावरण की रक्षा के साथ पर्यटन को बढ़ावा मिल सके. पांडुपोखर या घोड़ाकटोरा से ककोलत का सौंदर्य व प्राकृतिक छटा कहीं बढ़ कर है. प्रशासन की सही दृष्टि व पर्यावरण को बचाते हुए पर्यटन स्थल को बढ़ावा देने की पहल होती है, तो इसे और भी खूबसूरत बनाया जा सकता है. राजगीर के पांडुपोखर में प्रवेश के समय शुल्क लिये जाने के बाद कई आवश्यक निर्देश दे दिये जाते हैं़ ककोलत को निखारा जाये, तो सरकार को भी लाभ होगा़
खूबसूरती बचाने के लिए सभी को आना होगा आगे
ककोलत को पर्यटन के नक्शे पर ऊंचा स्थान दिलाने के लिए सामाजिक व प्रशासनिक स्तर पर काम करना होगा. ककोलत विकास परिषद वर्तमान में पर्यटकों के लिए पार्किंग, पेयजल, सफाई, सुरक्षा आदि का इंतजाम कर रही है. ककोलत तक जानेवाली सड़क को ठीक करने के लिए जिला मुख्यालय के अलावा फतेहपुर आदि में भी कई संगठनों द्वारा आंदोलन किया गया है. ककोलत की प्रकृति छटा को बचाये रखने के लिए स्थानीय लोगों के साथ प्रशासन को भी पहल करनी होगी. जिला प्रशासन द्वारा दोपहर में एक घंटे के लिए झरना के पास जाने से रोक लगाने की पहल अच्छी है.
पेड़ों की कटाई पर लगे रोक
ककोलत की वादियां पूरी तरह प्राकृतिक सुंदरता को समेटे हुए है. पहाड़ों पर यदि पेड़-पौधे ही नहीं होंगे, तो इको सिस्टम काम कैसे करेगा. झरने के पास बनी दुकानों में ही सुबह से शाम तक चूल्हे जलाने के लिए लकड़ियों का उपयोग होता है़ स्थानीय लोग इसे बेचते भी हैं़
झरने के आसपास से गंदगी हटाने की हो व्यवस्था
ककोलत में प्रतिदिन आनेवाले हजारों पर्यटकाें को सही दिशा-निर्देश नहीं मिलने के कारण वे लाेग प्लास्टिक व थर्माकोल सहित अन्य कचरे जहां-तहां फेंक जाते हैं़ जो झरना कुंड सहित अन्य स्थानों पर फैल कर पेड़-पौधों व मिट्टी-पानी को नुकसान पहुंचा रहे हैं. कचरा हटाने के उपाय कर दिये जायें तो काफी हद तक प्लास्टिक व अन्य कचरों से निजात मिल जायेगा़ पूरे क्षेत्र में कहीं भी डस्टबीन की व्यवस्था नहीं है. खाने की सामग्री, शैम्पु आदि के पाउच या प्लास्टिक के रैपर में आनेवाले सामान के इस्तेमाल के बाद उसे इसी परिसर में छोड़ दिया जाता है. थर्माकोल के प्लेट व थाली जल्द नष्ट नहीं होते.
पार्किंग की भी हो समुचित व्यवस्था
ककोलत जलप्रपात तक आनेवाले पर्यटकों के लिए पार्किंग की व्यवस्था परिसर से दूर होनी चाहिए. हजारों गाड़ियों से निकलने वाले धुएं भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं. थाली गांव के पास गाड़ियों की पार्किंग हो, तो बेहतर होगा़ वहां से लोगों को जलप्रपात तक आने के लिए ई-रिक्शा व टमटम आदि की सुविधा दी जानी चाहिए़ इससे लोगों को आनंद भी आयेगा तथा पर्यावरण को नुकसान भी कम होगा. इसके अलावा लोगों को प्राकृतिक सौंदर्यता निहारने में भी आनंद आयेगा.
ककोलत के विकास के लिए समय पर मिले पैसे
ककोलत को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित करने के लिए जिला प्रशासन स्तर पर काम हो रहे हैं. पिछले वित्तीय वर्ष में देर से रुपये आवंटित होने के कारण उसे राज्य सरकार को वापस करना पड़ा था. सीढ़ियों पर सेफ्टी रेलिंग लगाने, टूरिस्ट कम्यूनिकेशन सेंटर बनाने, एडवांस पार्किंग जोन बनाने सहित अन्य बड़े काम के लिए पिछले बजट में राशि लेट से मिलने के कारण उसे लौटाना पड़ा था. राज्य से इस बार विकास कार्यों के लिए जुलाई तक रुपये आवंटित करने का अनुरोध किया गया है.
ककोलत की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटन को बढ़ावा देती है़ इसे बचाये रखने की जरूरत है. पर्यावरण की अनदेखी के कारण कचरों को ढेर व कई असंतुलन झरने के पास दिखने लगे हैं. समय रहते यदि नहीं चेतें, तो नुकसान हो सकता है.
मिथलेश कुमार सिन्हा, प्राचार्य, प्रोजेक्ट कन्या इंटर स्कूल
ककोलत को बेहतर बनाने के लिए जुटे हैं. लोगों को अधिक से अधिक सुविधा मिले, इसके लिए लगातार प्रयास हो रहा है़ ककोलत विकास परिषद के वॉलेंटियरों द्वारा ही सुरक्षा, सफाई आदि की जाती है़
मो. मसीहउद्दीन, अध्यक्ष, ककोलत विकास परिषद
ककोलत के विकास के लिए जिला प्रशासन ने कई काम किये हैं. पहले से तय निर्माण कामों के लिए राशि फिर से मांगी जा रही है. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ककोलत के डेवलपमेंट पर विशेष ध्यान है.
कौशल कुमार, डीएम

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