नवादा : व्यवहार न्यायालय बने 17 साल बीत जाने के बाद भी वकीलों को अब तक बैठने की सुविधा तक नहीं दी गयी है़ लगातार संघर्ष के बाद भी यहां के वकील अब भी बैठने के लिए जगह ढूंढ़ते फिरते हैं़ इसके लिए लगातार 90 दिनों तक हड़ताल भी की गयी थी, पर कोई ठोस परिणाम नहीं निकला़ गरमी व बरसात में तो काम करना और भी मुश्किल हो जाता है़ वर्ष 2000 में बनाये गये सिविल कोर्ट भवन में एक कैंटिन भी था, उसे भी पुलिस बैरक बना दिया गया है. हालांकि सुरक्षा की बात करें,
तो सिविल कोर्ट के गेट पर सीसीटीवी कैमरे लगाये गये गये हैं़ कोर्ट के गेट पर सुरक्षा प्रहरी भी तैनात कर दिया गया है. बताया जाता है कि बार एसोसिएशन के आंदोलन को लेकर राज्य सरकार ने कोर्ट के पीछे की भूमि को बतौर वार्षिक 85 हजार रुपये की लीज पर देने की बात कह कर पहली किस्त भी ले चुकी है़ बावजूद अब तक जमीन अधिग्रहण कर एसोसिएशन को नहीं दिया गया है. ऐसी परिस्थिति में तत्कालीन जिला जज गीता वर्मा की पहल पर डीएम के माध्यम से कोर्ट के दक्षिण में राज्य ट्रांसपोर्ट की भूमि को उपलब्ध कराने की मांग सरकार से की गयी है. लोक अदालत का भी भवन बनाया जायेगा. बताया जाता है
कि इसके लिये राज्य ट्रांसपोर्ट विभाग को लिखा जा चुका है. नवादा सिविल कोर्ट में प्रतिदिन 600 वकील काम कर रहे हैं़ बावजूद यहां सुविधाओं का घोर अभाव है. कोर्ट परिसर में बनाये गये कैंटिन को भी पुलिस बैरक बना दिया गया है. वकीलों ने बैठने के लिए जमीन की मांग को लेकर लगातार 90 दिनों तक हड़ताल भी की थी़ बावजूद सकारात्मक पहल नहीं हुई़ सार्वजनिक बाथरूम भी साफ-सफाई के अभाव में गंदा रहता है. वकीलों का कोर्ट में काम करना किसी तपस्या से कम नहीं है. उनको हर साल दो बार अपने स्थान की झोंपड़ी को चंदा कर बनाना पड़ता है. वहीं महिला वकील के लिए भी सुरक्षित बाथरूम तक नहीं है. अपने मुवक्किलों को बैठाने के लिए उन्हें सोचना पड़ता है. बताया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि सभी सिविल कोर्ट में बार एसोसिएशन का अपना भवन दिया जाये़ लेकिन, यहां ऐसी कोई सुविधा नहीं मिल रही है. इससे वकीलों व यहां आनेवाले लोगों को दिक्कत होती है़ हालांकि पड़ोस के जिला शेखपुरा में यह सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं. बावजूद यहां के लिए पहल नहीं हो रही है.