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50 लाख की लागत से नालंदा विद्यापीठ का होगा विकास

नालंदा : 50 लाख की लागत से नालंदा विद्यापीठ का विकास किया जायेगा. जिला शिक्षा पदाधिकारी के इस प्रस्ताव पर डीएम योगेंद्र सिंह ने मुहर लगा दी है. जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा डीएम को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि नालंदा विद्यापीठ को अपग्रेड करने के लिए आवश्यक मूलभूत आधार संरचना का निर्माण आवश्यक है.

नालंदा : 50 लाख की लागत से नालंदा विद्यापीठ का विकास किया जायेगा. जिला शिक्षा पदाधिकारी के इस प्रस्ताव पर डीएम योगेंद्र सिंह ने मुहर लगा दी है. जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा डीएम को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि नालंदा विद्यापीठ को अपग्रेड करने के लिए आवश्यक मूलभूत आधार संरचना का निर्माण आवश्यक है.

1933 में स्थापित नालंदा विद्यापीठ वर्तमान समय में उत्क्रमित मध्य विद्यालय है. विद्यापीठ को अपग्रेड कर बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय (गर्ल्स प्लस टू स्कूल) का दर्जा देने के लिए डीएम ने डीइओ को शीघ्र प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजने के लिए आदेश दिया है. आधारभूत संरचना विकास योजना के तहत नालंदा विद्यापीठ में कई कार्य कराये जाने हैं. इनमें स्कूल की चहारदीवारी को ऊंचा करना और नालंदा की गरिमा के अनुरूप आकर्षक एवं भव्य प्रवेश द्वार का निर्माण करना है.

वाटर फैसिलिटी के लिए बोरिंग करायी जायेगी और नल लगाया जायेगा. उन्होंने बताया कि विद्यापीठ परिसर नीचा रहने के कारण बरसात के दिनों में या वर्षा होने पर जलजमाव हो जाता है, जिसके कारण शिक्षकों और छात्रों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है. इस समस्या के निराकरण के लिए परिसर में मिट्टी भराई का काम कराना आवश्यक है. उन्होंने बताया कि नालंदा विद्यापीठ के संस्थापक स्वतंत्रता सेनानी सत्यपाल धवले की कांस्य प्रतिमा विद्यापीठ परिसर में स्थापित की जायेगी.

उन्होंने कहा कि बहुत जल्द नालंदा विद्यापीठ को अपग्रेड करने का प्रस्ताव सरकार को भेज दिया जायेगा. विकास के अन्य योजनाओं की त्वरित कार्रवाई के लिए विभागीय सहायक अभियंता द्वारा प्राक्कलन तैयार की जा रही है. डीइओ ने बताया कि प्रस्तावित कार्यों को कराने के लिए 50 लाख व्यय होने के अनुमान है. डीएम और डीइओ की इस कार्रवाई से स्थानीय बुद्धिजीवियों में काफी खुशी है.

प्रकृति के अध्यक्ष नवेंदू झा, सचिव राम विलास, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार, डॉ गोपाल शरण सिंह, शिक्षक नेता सुरेंद्र प्रसाद, नालंदा विद्यापीठ के हेडमास्टर राजेश कुमार एवं अन्य ने जिला प्रशासन की कार्रवाई का स्वागत किया है. बुद्धिजीवियों का मानना है कि देर से ही सही 87 साल बाद नालंदा विद्यापीठ के दिन बहुरने वाले हैं. इसका वजूद और लुक दोनों बदलेगा. इसका श्रेय डीएम योगेंद्र सिंह और डीइओ मनोज कुमार को जाता है.

posted by ashish jha

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