Bihar Tourism: नालंदा जिले के हरगांवा गांव में धार्मिक पर्यटन को एक नई पहचान मिलने जा रही है. यहां बहाई समुदाय का उपासना स्थल बनाया जा रहा है, जो बिहार में पहला और देश का दूसरा केंद्र होगा. यह मंदिर 2026 तक लोगों के लिए खोल दिया जाएगा. इसकी बनावट दिल्ली के फेमस लोटस टेंपल जैसी होगी, जहां हर धर्म के लोग आकर शांति और एकता की भावना के साथ प्रार्थना कर सकेंगे. इसके बन जाने से न सिर्फ आस्था से जुड़ी पहचान बढ़ेगी, बल्कि इलाके में पर्यटन और विकास को भी नया रास्ता मिलेगा.
30% कार्य हो गया है पूरा
इस उपासना स्थल का लगभग 30% निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. यह स्थल भी दिल्ली के लोटस टेंपल की तरह लोगों को अपनी ओर खींचेगा. जैसे वहां हर साल लाखों लोग घूमने और प्रार्थना करने जाते हैं, वैसे ही यहां भी देश-विदेश से श्रद्धालु और पर्यटक आने की उम्मीद है.
मधुबनी पेंटिंग की होगी खास झलक
इस उपासना स्थल का नक्शा दिल्ली की ‘स्पेश मेटर्स’ संस्था ने तैयार किया है. इसमें लोक परंपरा और वैश्विक आध्यात्मिक सोच का मेल देखने को मिलेगा. इसकी गुंबद जैसी बनावट पर सुंदर नक्काशी की जाएगी और साथ ही मधुबनी पेंटिंग का खास इस्तेमाल इसे अलग पहचान देगा. दिन में सूरज की रोशनी से और रात में अंदर से जलती लाइटों से यह जगह बेहद खूबसूरत नजर आएगी.
विश्व का एक और खास धार्मिक स्थल
यह उपासना गृह दुनिया का छठा बहाई उपासना स्थल होगा. अभी तक ऐसे सिर्फ पांच मंदिर ही अलग-अलग देशों में बने हैं. इसकी घोषणा साल 2012 में इजराइल के हाइफा में मौजूद बहाई धर्म की सबसे बड़ी संस्था ‘विश्व न्याय मंदिर’ ने की थी.
सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला रहेगा यह मंदिर
इस बहाई उपासना स्थल की सबसे खास बात यह है कि यहां किसी एक धर्म के लोग ही नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लोग आकर शांति से प्रार्थना कर सकते हैं. यह जगह सभी के लिए खुली रहेगी. बहाई धर्म का मानना है कि दुनिया में सभी धर्म बराबर हैं और प्यार, शांति और एकता सबसे जरूरी हैं.
पर्यटन के साथ सेवा का भी होगा केंद्र
इस उपासना स्थल के साथ एक तालाब, बाग-बगीचे और आगे चलकर अस्पताल, वृद्धाश्रम, अनाथालय और स्कूल जैसे जनसेवा से जुड़े संस्थान भी बनाए जाएंगे. इससे न सिर्फ यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि यह जगह एक धार्मिक और सामाजिक केंद्र के रूप में विकसित होगी.
स्थानीय लोगों में खुशी का माहौल
हरगांवा गांव में बन रहे इस बहाई उपासना गृह को लेकर सिर्फ बहाई समुदाय ही नहीं, बल्कि आस पास के ग्रामीण भी काफी खुश हैं. उन्हें भरोसा है कि यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से क्षेत्र को पहचान देगा, बल्कि रोजगार और पर्यटन के नए रास्ते भी खोलेगा.
(जयश्री आनंद की रिपोर्ट)

