आस्था. कलश स्थापना के साथ शुरू हुआ नवरात्र
Advertisement
दुर्गा सप्तशती के पाठ से क्षेत्र हुआ गुंजायमान
आस्था. कलश स्थापना के साथ शुरू हुआ नवरात्र नवरात्र को कलश स्थापना करते श्रद्धालु. शक्ति की उपासना में जुटे मां के भक्त बिहारशरीफ : कलश स्थापना के साथ शनिवार से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो गयी. जिले के हजारों श्रद्धालुओं द्वारा पूरी पवित्रता के साथ प्रथम दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की अाराधना […]
नवरात्र को कलश स्थापना करते श्रद्धालु.
शक्ति की उपासना में जुटे मां के भक्त
बिहारशरीफ : कलश स्थापना के साथ शनिवार से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो गयी. जिले के हजारों श्रद्धालुओं द्वारा पूरी पवित्रता के साथ प्रथम दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की अाराधना की गयी. नवरात्र को लेकर सुबह से ही अनेक घरों में कलश स्थापना की धार्मिक प्रक्रिया शुरू हो गई थी, जो दोपहर बाद तक चलती रही. इस संबंध में पं. श्रीकांत शर्मा ने बताया कि मां के भक्त पूरी आस्था के साथ नवरात्र का अनुष्ठान में जुट गये हैं.
लगातार दस दिनों तक मां की सच्ची श्रद्धा से अराधना करने वाले साधकों की हर मुराद मां दुर्गा पूरी करते हैं. साधक को अनुष्ठान के दौरान दस दिनों तक पूरी पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए. उन्होंने बताया कि दुर्गा सप्तशती के पवित्र श्लोकों का शुऋ उच्चारण करना अत्यंत आवश्यकता है. जहां तक हो सके दुर्गा सप्तशती का पाठ संस्कृत में ही किया जाना चाहिए. इस मौके पर माता को
पान,कसैली,मधु,ऋतुफल,पंचमेवा,मिश्री,लौंग,ईलाइची आदि का भोग सुबह शाम लगाना चाहिए. माता को सिंदूर, रोडी, अक्षत, चंदन, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि भी अर्पित किया जाना चाहिए.शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन से ही शहर में धार्मिक वातावरण बन गया है. दिन भर घरों से छी, हुमाद, अगरबती इत्र आदि की खूश्बू फैलती रही. शहर के हजारों घरों में नवरात्र किये जाने से वातावरण दुर्गा सप्तशती के पवित्र श्लोकों से गुंजायमान हो रहा है. इसी के बीच बीच में शंख तथा घंटे की ध्वनि से वातावरण में भक्ति की गंगा बह रही है. शहर के दर्जनों पूजा पंडालों में भी कलश स्थापित कर मां दुर्गा की अाराधना शुरू कर दी गयी है.
नौ दिनों में माता के नौ रुपों की पूजा: नवरात्र के पवित्र नौ दिनों में माता के विभिन्न नौ रूपों की पूजा करने का विधान है. नवरात्र के प्रथम दिन शैलपुत्री, द्वितीय को ब्रहृमचारिणी तृतीय तिथि को चंद्रघंटा तथा चतुर्थी तिथि को मां कुष्मांडा की अराधना करनी चाहिए. इसी प्रकार पंचमी को स्कंदमाता, षष्टी को कात्यायनी माता, सप्तमी को कालरात्री, अष्टमी को महागौरी तथा नवमी तिथि को माता के सिद्धिदात्री रूप की आराधना करनी चाहिए.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement