केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ इलाहाबाद बैंक का हुआ सम्मेलन
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बैंकों को निजी क्षेत्र में देने की हो रही साजिश: मित्रा
केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ इलाहाबाद बैंक का हुआ सम्मेलन राजगीर : भारत सरकार के बैंक नीतियों के खिलाफ इलाहाबाद बैंक बिहार-झारखंड के अधिकारियों का संगठन सेतु का एक दिवसीय सम्मेलन रविवार को होटल राजगीर रेजिडेंसी के सभा कक्ष में आयोजित की गयी. सम्मेलन का उद्घाटन राष्ट्रीय महासचिव देवमाल्य मित्रा,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह बिहार-झारखंड के […]
राजगीर : भारत सरकार के बैंक नीतियों के खिलाफ इलाहाबाद बैंक बिहार-झारखंड के अधिकारियों का संगठन सेतु का एक दिवसीय सम्मेलन रविवार को होटल राजगीर रेजिडेंसी के सभा कक्ष में आयोजित की गयी. सम्मेलन का उद्घाटन राष्ट्रीय महासचिव देवमाल्य मित्रा,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह बिहार-झारखंड के कोडिनेटर सुनील कुमार सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओपी गौर ने संयुक्त रूप से किया. सम्मेलन में बिहार व झारखंड राज्य से इलाहाबाद बैंक के कनिय अभियंता से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया.
बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय महासचिव देवमाल्य मित्रा ने कहा बैंकों के प्रति भारत सरकार की नीतियां अच्छी नहीं है. भारत सरकार पूंजीपतियों के हाथों में बैंकों को देना चाहती है.
निजीकरण के बाद आम लोगों की जमा राशि की सुरक्षा खतरे में आ जायेगी. देश के गरीब, बेरोजगार और किसान सरकारी बैंकों से मिलने वाले लाभ से वंचित हो जायेंगे. वहीं बैंकों के मर्जर से देश में बेरोजगारी का बढ़ावा मिलेगा और बैंक कर्मियों का दोहन व शोषण होगा. देश की आर्थिक स्वायतता विदेशी निवेशकों के हाथों में चला जायेगा. वहीं सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह ने कहा कि वर्तमान सरकार नये कॉपोरेट घरानों को बैंकों का लाइसेंस दे रही है. वहीं देश में पहले से चल रहे बैंकों को निजीकरण, मर्जर और क्लोजर कर रही है, जो कि बैंक कर्मियों को पराराईज करने के समान है. सरकार बैंक को हानि में दिखाना चाहती है.
अगर बैंक लौस में है तो करोड़ों रुपयेकि टैक्स कहां से देती है. उन्होंने कहा कि इस बार बैंकों ने 17 हजार नौ सौ करोड़ रुपये सरकार को टैक्स दिये है. इसके बाद भी सरकार का तर्क है कि बैंक घाटे में चल रही है. यह कहां तक सत्य है. उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी बातें कर एक साजिश के तहत बैंकों को निजीकरण और मर्जर करना चाहती है. उन्होंने कहा कि हम अपने जिम्मेवारियों के प्रति उतरदायित्व है. उन्होंने कहा कि भारत के लोगों में बचत कि आदत है, यहीं वजह कि वर्ष 2008 के आर्थिक मंदी में जब अमेरिका जैसे देशों में लगभग 100 कि संख्या में बैंक बंद हो गये थे,
उस समय भी भारत की एक भी बैंक तो क्या किसी बैंक के एक ब्रांच तक बंद नहीं हुआ था, तो आज क्या वजह हुई की बैंकों को घाटा में दिखाने कि कोशिश कि जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार बैंकों को कॉरपोरेट घरानों के हाथों बेचना चाहती है. इससे बैंकों को होने वाला बेनिफिट का करोड़ों रुपये विदेशों में चला जायेगा. उन्होंने कहा कि पहले यहां 12 लाख बैंक कर्मी थे. परंतु बैंकों के मर्जर के वजह से आज यह संख्या घट कर आठ लाख पर पहुंच गया है. झारखंड जोन के इंचार्ज सुनील कुमार, मंडलीय प्रमुख पटना, एसके सिंह रांची, प्रदीप कुमार, अविनाश कुमार, संजय कुमार राजू, मिथिलेश कुमार, जितेन्द्र कुमार मिश्रा, राजू सिंह, अशोक नारण, राज्य सचिव लक्ष्मण सिंह, नवीन कुमार, प्रदीप कुमार सहित अन्य मौजूद थे.
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