बिहारशरीफ : दीपों का त्योहार दीपावली की चहल-पहल शहर से लेकर गांव-कस्बों तक बढ़ने लगी है. लोग अपने-अपने स्तर से दीवाली मनाने की तैयारी में जुट गये हैं. पवित्र माह कार्तिक माह की शुरुआत होते ही घरों में खान-पान का जायका भी बदल गया है. जिन घरों में लोक आस्था का महापर्व छठ होता है. उस घर के लोग लहसुन, प्याज, मांस-मछली का सेवन करना बंद कर दिया है.
दीपावली को लेकर लोग अपने घरों की साफ-सफाई करने में लगे हैं. जिनके घर ईंट-पक्के के बने हैं, वैसे लोग घरों की दीवारों को आकर्षक रंगों से पुताई करने में लग गये हैं. लिहाजा पेंट की दुकानों में ब्रांडेड कंपनियों के पेंट की डिमांड भी बढ़ गयी है. पेंट के साथ-साथ घरों की दीवारों को सेम कराने में लगे हैं. इसी तरह जिनके मकान कच्ची मिट्टी की दीवार से बने हैं, वैसे लोग मिट्टी से ही दीवारों की पुताई करने में जुटे हैं. घर की आंगन को मिट्टी एवं गोबर के साथ मिला कर पोछा लगा रहे हैं.
गांवों में भी दीवाली को लेकर काफी चहल-पहल बढ़ गयी है. जो लोक कार्तिक महीने में स्नान करते हैं. वैसे लोग खानपान में बदलाव कर लिया है. ऐसे लोग प्याज, लहसुन का सेवन करना बंद कर दिया है. कार्तिक महीने में महिला लोग तुलसी पेड़ के नीचे संध्या में स्नान कर घी के दिये जलाने में जुटी है. साथ ही आंवला वृक्ष की पूजा
करने में कुछ इच्छुक महिलाएं लगी है. इस तरह कार्तिक माह में दीवाली, छठ, आंवला वृक्ष, देवोत्थान का पर्व पारंपरिक रूप से हर्षोल्लासपूर्वक मनाया जाता है. दीपावली को लेकर कुंभकार मिट्टी के दीये बनाने में जोर-शोर से लग गये है. दीवाली में देवताओं के पास मुख्य रूप से मिट्टी के दीये ही जलाये जाते हैं.