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एनजीओ ने डकारे 31 लाख

बिहारशरीफ(नालंदा) : रुपये भुगतान के बाद भी शहरी गरीबों के घरों में शुष्क शौचालय नहीं बनाया गया जा सका है. शौचालय बनाने के लिए नगर निगम द्वारा तीन किश्तों में 31 लाख 50 हजार रुपये का भुगतान पांच साल पहले ही कर दिया गया था. समेकित अल्प लागत स्वच्छता योजना के तहत शहर में एक […]

बिहारशरीफ(नालंदा) : रुपये भुगतान के बाद भी शहरी गरीबों के घरों में शुष्क शौचालय नहीं बनाया गया जा सका है. शौचालय बनाने के लिए नगर निगम द्वारा तीन किश्तों में 31 लाख 50 हजार रुपये का भुगतान पांच साल पहले ही कर दिया गया था. समेकित अल्प लागत स्वच्छता योजना के तहत शहर में एक हजार शौचालय बनाने के लिए नगर निगम ने एक एनजीओ के साथ समझौता किया था.

समझौते के अनुसार शहर के 247 घरों में शुष्क शौचालय बनाने के लिए रुपये का भुगतान किया गया था. रुपये भुगतान के बाद शौचालय निर्माण का उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दिया गया. पूर्व नगर आयुक्त एमपी मधुकर से मोहल्ले के लोगों ने शिकायत भी की थी कि एनजीओ द्वारा शौचालय का निर्माण पूरा नहीं किया गया है. सैकड़ों घरों में गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया है. साथ ही कई लाभुकों से एक हजार रुपये की ठगी भी एनजीओ के द्वारा कर ली गयी है.

लोगों की शिकायत पर पूर्व नगर आयुक्त एमपी मधुकर ने एनजीओ से जवाब-तलब किया गया था.

हालांकि लोगों का कहना है बिना उपयोगिता प्रमाणपत्र दिये ही नगर निगम द्वारा रुपये का भुगतान कैसे कर दिया गया. यह जांच का विषय है. मेयर सुधीर कुमार ने बताया कि यह मामला मेरे कार्यकाल से पहले का है. एनजीओ पर थाने में एफआइआर दर्ज करायी गयी है.

क्या है योजना : नगर विकास विभाग के आदेश पर समेकित अल्प लागत स्वच्छता योजना के तहत शहर के स्लम एरिया में रहने वाले गरीबों के घरों में दस हजार की लागत से शुष्क शौचालय बनाने की योजना थी. इसके लिए एक एनजीओ को अधिकृत किया गया था. योजना के अनुसार नौ

हजार रुपये नगर निगम व एक हजार रुपये लाभुक को भुगतान करने का प्रावधान था.

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