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महिलाएं उठाएं लाभ,आयेगी समृद्धि

* मधुमक्खीपालन के लिए सरकार की ओर से 80 से 90 फीसदी अनुदान * कृषि विज्ञान केंद्र में सात दिवसीय मधुमक्खीपालन की ट्रेनिंग की शुरुआत बिहारशरीफ (नालंदा) : कृषि विज्ञान केंद्र, हरनौत में सोमवार से मधुमक्खीपालन की सात दिवसीय ट्रेनिंग की शुरुआत की गयी. प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन केवीके के कार्यक्रम समन्वयक डॉ संजीव कुमार […]

* मधुमक्खीपालन के लिए सरकार की ओर से 80 से 90 फीसदी अनुदान

* कृषि विज्ञान केंद्र में सात दिवसीय मधुमक्खीपालन की ट्रेनिंग की शुरुआत

बिहारशरीफ (नालंदा) : कृषि विज्ञान केंद्र, हरनौत में सोमवार से मधुमक्खीपालन की सात दिवसीय ट्रेनिंग की शुरुआत की गयी. प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन केवीके के कार्यक्रम समन्वयक डॉ संजीव कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया.

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र हरनौत का लक्ष्य 300-400 लोगों को मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग देकर उन्हें स्वरोजगार उपलब्ध कराना है. उन्होंने मधुमक्खी पालन को स्वरोजगार का सबसे उत्तम माध्यम बताते हुए कहा कि कृषि में सालों भर रोजगार नहीं मिल पाता है. इसलिए अतिरिक्त समय में किसान महिलाएं मधुमक्खी पालन का व्यवसाय अपना कर आर्थिक रूप से संपन्न हो सकते हैं.

उन्होंने कहा कि इसमें लागत काफी कम लगती है और लागत का 80 से 90 प्रतिशत सरकार अनुदान के रूप में दे रही है. प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजक केवीके के वैज्ञानिक एन.के. सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को पहले दिन का प्रशिक्षण दिया. ग्रामीण परिवेश में मधुमक्खी पालकों का उज्ज्वल भविष्य बताते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में इसकी असीम संभावनाएं है. महिलाएं कृषि कार्यो के अलावा मधुमक्खी पालन कर अधिक मुनाफा कमा सकती है.

* बेरोजगारी भी हो सकती है दूर

डॉ एनके सिंह ने कहा कि बेरोजगार युवक इसे वृहत रूप में अपना कर स्वरोजगार प्राप्त कर सकते हैं. 50 बक्शा रखने पर दो व्यक्तियों को रोजगार मिल सकता है, जबकि 50 से 100 बक्सा रखने पर तीन लोगों को इसमें रोजगार मिल सकता है. डॉ. सिंह ने कहा कि नालंदा में खरीफ मक्का की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इसके अलावा कुछ क्षेत्रों में सालों भर सब्जी की खेती होती है.

किसान बक्सा को एक जगह से दूसरी जगह ले जाये बिना केवल एक जह पर रख कर ही मधु का उत्पादन कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि जिले में कई ऐसे मधुमक्खी पालक है जो 100 बक्सा रखे हुए है. एक ही जगह बक्सा रख कर वे काफी लाभ कमा रहे हैं. इस व्यवसाय को भूमिहीन, बूढ़े, जवान कोई भी इसे आसानी से कर सकते है.

* धुआं दिखा कर फ्रेम डालें

कृषि विज्ञान केंद्र, हरनौत के वैज्ञानिक एनके सिंह ने सिलाव प्रखंड के नीरपुर जुआफरडीह गांव में मधुमक्खीपालन में इस्तेमाल होनेवाले बक्से का निरीक्षण किया. महिला मधुमक्खीपालकों ने कृषि वैज्ञानिक से मधुमक्खी के लिए कृत्रिम भोजन बनाने, देने के बारे में जानकारी प्राप्त की.

श्री सिंह ने महिला मधुमक्खीपालकों को बताया कि 15 दिन पर फ्रेम को एक बक्सा से दूसरे बक्सा में रखना जरूरी है. फ्रेम को बक्से में रखने से पूर्व उसे धुआं दिखाना आवश्यक है. उन्होंने मधु उत्पादकों को बताया कि बक्सा में धुआं दिखा कर फ्रेम डालने से उसमें वैक्स मास्क का अटैक नहीं होता है. उन्होंने बताया कि बिढ़नी का अटैक सुबह या शाम में होता है. इससे बचाने की उन्होंने सलाह दी.

उन्होंने बताया कि मधुमक्खीपालक वर्मा माइट से काफी परेशान रहते हैं. इससे बचने के लिए भी उन्होंने बक्से में फ्रेम डालने के पूर्व उसे धुआं दिखाने की अपील की. उन्होंने कहा कि बर्मा माइट के अटैक से मधुमक्खी की पूरी कॉलोनी ही समाप्त हो जाती है. इसलिए मधुमक्खीपालकों को इससे सचेत रहना चाहिए.
* शहद
में पौष्टिक गुण अधिक

डॉ सिंह ने कहा कि शहद में पौष्टिक गुण अधिक मात्र में पाया जाता है. फ्रक्टोज 38 फीसदी, ग्लुकोज 37 फीसदी, शुक्रोज 2 से 5 फीसदी पाये जाते है. इसके अलावा अम्ल, प्रोटीन, विटामिन, एंजाइम, कैल्शियम, लोहा, मैगनीज, मैग्निशियम, कॉपर, सल्फर आदि प्रचूर मात्र में पाये जाते हैं. शहद पौष्टिक होने के साथ ही सुपाच्य होता है. उन्होंने बताया कि एक किलो शहद में तीन हजार कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है. इससे 12 किलो सेब, 65 अंडे, 10 किलो हरा मटर, पांच लीटर दूध, 2.25 किलो मछली, 8 किलो तार के रस जितनी ऊर्जा प्राप्त होती है.

* शहद के औषधीय गुण

डॉ एनके सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को शहर के औषधीय गुण से परिचित कराया. उन्होंने बताया कि जामुन के साथ शहद मधुमेह रोगियों के लिए काफी फायदेमंद है. इस शहद को बकरी के दूध या मट्ठे में मिला कर पीने से टीबी से ग्रसित रोगियों को अत्यंत फायदा होता है. चोट लगने, घाव होने पर शहद की पट्टी बांधने से घाव ठीक हो जाता है. ठंडे दूध में शहद डाल कर नियमित रूप से सेवन करने से शरीर स्वस्थ होता है तथा शरीर का वजन बढ़ जाता है. गरम दूध में शहद डाल कर रात्रि में सोते समय पीने से कब्ज दूर होता है.

अदरक का रस या पीपल की पत्नी को पीस कर शहद में मिला कर रात्रि में सोते समय लेने से खांसी दूर होती है. बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में शहद अतिउत्तम औषधि है. क्रंज के शहद का सेवन करने से सांस पेट के रोग दूर होते है. इस प्रशिक्षण में सिलाव, रहुई बिहारशरीफ प्रखंड के 34 प्रशिक्षणार्थी शामिल हुए, जिनमें से 30 के करीब महिलाएं शामिल थीं.

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