शिक्षा विभाग में पदस्थापना में लॉटरी का प्रावधान नहीं
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लॉटरी से शिक्षकों की पदस्थापना की रद्द
शिक्षा विभाग में पदस्थापना में लॉटरी का प्रावधान नहीं लॉटरी सिस्टम के कारण कनीय शिक्षक भी बन गये थे डीडीओ बिहारशरीफ : जिले के मध्य विद्यालयों में नव प्रोन्नत प्रधानाध्यापकों की लॉटरी सिस्टम से हुई पदस्थापना को पटना उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया गया है. न्यायालय द्वारा 29 अक्तूबर 2016 के प्रत्रांक 3513 के […]
लॉटरी सिस्टम के कारण कनीय शिक्षक भी बन गये थे डीडीओ
बिहारशरीफ : जिले के मध्य विद्यालयों में नव प्रोन्नत प्रधानाध्यापकों की लॉटरी सिस्टम से हुई पदस्थापना को पटना उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया गया है. न्यायालय द्वारा 29 अक्तूबर 2016 के प्रत्रांक 3513 के द्वारा जिले के नव प्रोन्नत प्रधानाध्यापकों की पदस्थापना को रद्द करते हुए पुन: विभागीय नियमानुकूल वरीयता क्रम में पदस्थापना करने का आदेश निर्गत किया गया है. उच्च न्यायालय द्वारा अधिकारियों को विभागीय पत्रांक 102 दिनांक 30 जनवरी 2013 के निर्देशों को पूर्णत: पालन करने का निर्देश दिया गया है. इससे जिले के लगभग 90 फिसदी नवप्रोन्नत प्रधानाध्यापकों में खुशी की लहर फैल गयी है.
बताया जाता है कि नवप्रोन्नत शिक्षकों की पदस्थापना लॉटरी के माध्यम से सिर्फ नालंदा जिला में ही किया गया था. इससे वरीय शिक्षकों को आस-पास के मध्य विद्यालयों में पदस्थापना के बदले सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थापना हो गयी. इससे महिला शिक्षकों को सर्वाधिक परेशानी उठानी पड़ रही थी. इसी प्रकार लॉटरी सिस्टम से पदस्थापना के कारण वरीय शिक्षक के बजाय कनीय शिक्षक भी डीडीओ बन गये. पदस्थापना के बाद से ही जिले के नवप्रोन्नत शिक्षकों में नाराजगी देखी जा रही है. हालांकि प्रधानाध्यापक बन जाने के कारण वे अपनी नाराजगी प्रकट नहीं कर रहे थे. अब ऐसे सभी शिक्षकों में नजदीक में ही पदस्थापना की उम्मीद बढ़ने से उनमें भारी खुशी देखी जा रही है.
प्राथमिक शिक्षक संघ ने लिया था न्यायालय का सहारा : नालंदा जिला प्राथमिक शिक्षक संघ ने प्रधान सचिव महर्षि कुमार पटेल द्वारा जिला प्रशासन के लॉटरी से पदस्थापान के विरूद्ध पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी थी. उनका कहना था कि लॉटरी सिस्टम के कारण वरीय शिक्षकों की वरीयता क्रमांक क्षीण हो गयी है, जो न्यायसंगत नहीं है. शिक्षकों के हितों की अनदेखी होते देख पटेल ने उच्च न्यायालय में समादेश याचिका सी डब्ल्यू जेसी नंबर 19790/2016 दायर की गयी थी.
उचच न्यायालय द्वारा आये फैसल में स्पष्ट कर दिया गया है कि प्रधानाध्यापकों के पदस्थापन में लॉटरी प्रक्रिया का कोई विभागीय प्रावधान नहीं है. अत: शिक्षा विभाग अपने विभागीय निर्देशों के तहत ही प्रधानाध्यापकों को पदस्थापित करें.
उच्च न्यायालय में निर्णय की प्रमुख बातें :
1. प्रधानाध्यापक के पद पर प्रोन्नति के उपरांत उनकी संख्या के अनुपात में प्रखंडवार मध्य विद्यालयों की संख्या को ध्यान में रखकर आनुपातिक रूप से पदस्थापन पर विचार किया जाए.
2. प्रखंड के चिन्हित विद्यालय जो निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी से संबंधित हो के प्रधानाध्यापक का पद यदि रिक्त हो तो वहां पर सर्वप्रथम पदस्थापन किया जाए.
3. इसके उपरांत वैसे मध्य विद्यालय जहां संकुल संसाधन केंद्र अवस्थित है और यदि वहां प्रधानाध्यापक के पद रिक्त हों तो वहां पर प्रधानाध्यापक के पद पर पदस्थापना की कार्रवाई की जाए.
4. पदस्थापन के सामान्य सिद्धांत के अन्तर्गत जिन प्रोन्नत शिक्षकों की सेवानिवृति एक साल के भीतर हो उनको यथा संभव इच्छित पदस्थापना पर विचार किया जाए. इसी क्रम में विकलांग शिक्षकों एवं महिला शिक्षकों के मामले में भी उनकी इच्छा का ध्यान रखा जाए.
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