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छात्र की मौत से ताजा हुई प्रदुम्न हत्याकांड की याद

20 दिन पहले ही बच्चे का स्कूल में नामांकन कराया गया था बिहारशरीफ : सात वर्षीय अमर की मौत संदेह के घेरे में है. मौत का पूरा रहस्य सर्वांगीण बाल विकास आवासीय विद्यालय के गर्भ में मंडरा रहा है. नालंदा पुलिस बगैर जांच के कुछ भी बोलने से बच रही है. नालंदा के पुलिस अधीक्षक […]

20 दिन पहले ही बच्चे का स्कूल में नामांकन कराया गया था
बिहारशरीफ : सात वर्षीय अमर की मौत संदेह के घेरे में है. मौत का पूरा रहस्य सर्वांगीण बाल विकास आवासीय विद्यालय के गर्भ में मंडरा रहा है. नालंदा पुलिस बगैर जांच के कुछ भी बोलने से बच रही है. नालंदा के पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार पोरिका ने सदर एसडीपीओ निशित प्रिया का जांच का जिम्मा सौंपा है.
जांच में आये तथ्यों के आधार पर ही कार्रवाई की जायेगी. पुलिस की माने तो बिहारशरीफ की यह घटना हरियाणा के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में प्रदुम्न हत्याकांड की पुनरावृति हो सकती है.
हालांकि पुलिस अधिकारियों ने जांच के बाद ही असलियत उजागर होने की बात कही है. एसपी ने कहा कि पुलिस पूरे मामले का अध्ययन करने में जुटी है. जांच में दोषी पाये जाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी. अमर का 20 दिन पूर्व ही आवासीय विद्यालय में नामांकन कराया गया था. बीस दिनों के भीतर ऐसा क्या हुआ कि उसकी मौत हो गयी.
हॉस्टल संचालक मौत के लिए उसके अभिभावकों को जिम्मेदार बता रहे हैं, वहीं मृतक के परिजनों का सीधा आरोप हॉस्टल के संचालक पर है. हॉस्टल के आसपास के लोगों का मानना है कि हॉस्टल संचालक इस तरह का अपराध नहीं कर सकता है. शहर के नगर थाना क्षेत्र के टिकुलीपर स्थित सर्वांगीण बाल विकास आवासीय विद्यालय में करीब 50-70 छात्र रहते हैं. हालांकि घटना के बाद सभी बच्चे अपने-अपने घर चले गये हैं.
मृतक के पिता द्वारा दर्ज कराये गये कांड में इस बात का उल्लेख प्राथमिकता के आधार पर किया गया है कि हॉस्टल के संचालक ने टेलीफोन पर उनके भाई को सूचित किया है कि उनका भतीजा हॉस्टल के चार मंजिले भवन की छत से कूद गया है. हॉस्टल की संचालिका ने मीडिया को दिये अपने बयान में बताया है कि अमर कुछ दिनों से अवसाद में चल रहा था.अमर अपने घर जाने की जिद में था, उसके अभिभावक उसे घर नहीं ले जा रहे थे.
मां व दादी का रो-रो कर बुरा हाल
घटना की जानकारी के बाद अमर की मां मंजू देवी व दादी भागो देवी का रो-रो कर बुरा हाल है.घर की महिलाओं का आरोप है कि हॉस्टल संचालक ने उसके पुत्र की हत्या छत से फेंक कर दी.अमर के पिता विरेश कुमार बताते हैं कि हॉस्टल में एक माह का तीन हजार रुपया फीस लगता था. नामांकन के वक्त संचालक ने बच्चे की पूरी सुरक्षा का दावा उनसे किया था.
मनोचिकित्सक की राय
पावापुरी मेडिकल के मनोचिकित्सक डाॅ अनंत कुमार वर्मा का कहना है कि सात वर्ष का मासूम भी अवसाद के भाव को समझ सकता है. मौत का कारण अगर घर जाने की जिद थी तो ऐसा हो सकता है कि वह उंचे स्थान से कूद कर ऐसा करे. हालांकि यह देखने की बात है कि जिस स्थान से बालक ने छलांग लगायी है, वह स्थान उसके लिए माकूल है या नहीं.
अमूमन मासूम बच्चे खुदकुशी की स्थिति में उस स्थान का चयन कर लेते हैं, जहां से आसानी से ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जा सके. अगर खुदकुशी करने वाला स्थान उनकी पहुंच से दूर है तो ऐसे मामले में संदेह की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.

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