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अज्ञात कॉलर व मैसेज को करें नजरअंदाज, ठगों के जाल में नहीं फंसे

खुफिया विंग ऐसे अपराधियों की पहचान कर गिरफ्तारी में जुटा बिहारशरीफ : जिले में साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. साइबर अपराध से बड़े-बड़े मामलों का तार नालंदा से जुट रहा है. इनके जाल में अधिकतर वे लोग फंस रहे हैं,जो सावधानी को नजरअंदाज कर इंटरनेट का प्रयोग करते हैं या बगैर […]

खुफिया विंग ऐसे अपराधियों की पहचान कर गिरफ्तारी में जुटा

बिहारशरीफ : जिले में साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. साइबर अपराध से बड़े-बड़े मामलों का तार नालंदा से जुट रहा है. इनके जाल में अधिकतर वे लोग फंस रहे हैं,जो सावधानी को नजरअंदाज कर इंटरनेट का प्रयोग करते हैं या बगैर सोचे समझे किसी भी अज्ञात कॉलर द्वारा मांगी गयी बैंक सहित अन्य गोपनीय जानकारी शेयर कर देते हैं. साइबर क्राइम के मामले में जिले का कतरीसराय देश में चर्चित हो गया है. यहां आये दिन साइबर अपराधियों की गिरफ्तारियां होते रहती है.बढ़ते साइबर अपराध को देखते हुए नालंदा पुलिस का खुफिया विंग ऐसे अपराधियों की पहचान व उनकी गिरफ्तारी में जुटा हुआ है.
…ऐसे करते हैं काम
1. साइबर क्राइम के माध्यम से अपराधी ब्रांडेड कंपनियों से ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले ग्राहकों का मोबाइल नंबर साइबर कैफे से लॉट में प्राप्त कर कर रहे हैं
2. ग्राहकों के मोबाइल नंबर लेने के बाद अपराधी उन मोबाइल नंबरों पर संपर्क साध कर संबंधित ग्राहकों से बात करते हैं.
3. बताते हैं कि आपके द्वारा पिछले दिनों नाप-तौल डॉट कॉम से ऑन लाइन शाॅपिंग की गयी थी.
4. कंपनी में आपके नाम से लॉटरी निकाला है,लॉटरी में आपको कार फंसा है.
5. कंपनी आपको कार या इसकी कीमत(नकद) देना चाहती है.
6. आपको इसके बदले तत्काल कार के मूल्य का टीडीएस हमारे द्वारा भेजे जा रहे अकाउंट नंबर में डालना होगा.
(इसके अलावे साइबर अपराधी ब्रांडेड कंपनियों के नाम से इश्तेहार चस्पा कर ठगी का बड़ा नेटवर्क चला रहे हैं. बस स्टैंड व रेलवे स्टेशनों, ट्रेनों व बसों पर इस तरह के पोस्टर देखे जा सकते हैं. जिसमें पतंजलि व दूसरी ब्रांडेड कंपनियों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी की जा रही है.)
साइबर एक्सपर्ट की राय
साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर आपके कंप्यूटर पर किसी वायरस या स्काईवेयर ने कब्जा जमा लिया है और वह जोम्बी में तब्दील हो गया है, तो समझिये कि आपका कंप्यूटर और उसमें फीड डेटा दोनों असुरक्षित है. असुरक्षा के साथ-साथ साइबर क्राइम में भी आप फंस सकते हैं.साइबर कैफे में बैठकर तो कतई नहीं ऑनलाइन शॉपिंग करें. हो सके तो इंटरनेट के प्रयोग पासवर्ड से लिंक पर्सनल डिवाइस से करें.
वैसे साइबर कैफे का प्रयोग करें.
,जिसकी शाख शहर में अच्छी हो.
-ई मेल के माध्यम से धमकी भरे संदेश भेजना-आईपीसी की धारा 503.
-ई मेल के माध्यम से ऐसे संदेश भेजना, जिससे मानहानि होती हो-आईपीसी की धारा 499.
-फर्जी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉड्‌र्स का इस्तेमाल-आईपीसी की धारा 463.
-फर्जी वेबसाइट्‌स या साइबर फ्रॉड-आईपीसी की धारा 420.
-चोरी-छुपे किसी के ई मेल पर नजर रखना-आईपीसी की धारा 463.
-वेब जैकिंग-आईपीसी की धारा 383.
-ईमेल का ग़लत इस्तेमाल-आईपीसी की धारा 500.
-कंप्यूटर में संग्रहित डाटा के साथ छेड़छाड़ कर उसे हैक करने की कोशिश-धारा 66.
-अपनी पहचान छुपाकर कंप्यूटर की मदद से किसी के व्यक्तिगत डाटा तक पहुंच बनाने के लिए दंड का प्रावधान- धारा 66 डी.
ऐसे रखें खुद को सुरक्षित
एंटिस्पाईवेयर और फायरवॉल जरूर लगायें.ये सिर्फ आपकी साइबर सुरक्षा के लिहाज से ही जरूरी नहीं है,बल्कि इसलिए भी है कि कहीं आप अनजाने में कोई साइबर अपराध नहीं कर दें.अपने प्राइवेसी को सेंधमारी से बचाने को लेकर कभी भी अपना ई मेल अकाउंट,फेसबुक बगैरह का पासवर्ड अपने करीबी को नहीं बतायें.यह खाता ई मेल,सोशल नेटवर्किंग,ब्लॉग,वेबसाइट,ऑनलाइन स्टोरेज सर्विस,ई-कॉमर्स साइट व इंटरनेट बैंकिंग से जुड़ा होता है.ऐसे में आप डेटा प्रोटेक्शन कानून के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 की धारा 72 के तहत दोषी करार दिये जा सकते हैं.

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