अंग्रेजों के शासनकाल में खजाना निकालने के लिए तोप से दरवाजे को तोड़ने का हुआ था प्रयास
गुफा के अंदर तीन किमी सुरंग होने का अंदेशा
जैन धर्म के भी यहां हैं अवशेष
बिहारशरीफ : आज भी कई ऐसी गुफाएं हैं, जो आमलोगों के साथ ही वैज्ञानिकों के लिए भी एक पहेली बनी हुई है. एक ऐसी ही गुफा है राजगीर का सोन भंडार. ऐसा माना जाता है कि इस गुफा में सोने के खजाने हैं. यह भी कहा जाता है कि मौर्य वंश के शासक बिंबिसार ने राजगीर में एक बड़े पहाड़ को काटकर अपने खजाने को छिपाने के लिए यह गुफा बनायी थी.
कहा जाता है कि आज भी इस गुफा के अंदर खजाना छिपा हुआ है, जिसका अब तक पता नहीं चल पाया है. सोन भंडार नामक यह गुफा राजगीर के विभारगिरि पर्वत की तलहटी में स्थित है. यहीं पर भगवान बुद्ध ने मगध सम्राट बिंबिसार को धर्मोपदेश दिया था. राजा ने सोने को छिपाने के लिए पूरी चट्टान को काटकर यहां पर दो बड़े कमरे बनवाये थे. गुफा के पहले कमरे में जहां सैनिकों के रहने की व्यवस्था थी, वहीं दूसरे कमरे में खजाना छिपा कर रखा गया था. दूसरे कमरे के अंदर के दरवाजे को पत्थर की एक बड़ी चट्टान से ढंक दिया गया है, जिसे आज तक कोई नहीं खोल पाया है.
जैन धर्म के हैं अवशेष : सोन भंडार की इस गुफा में जैन धर्म के अवशेष भी मिलते हैं. दूसरी ओर बनी गुफा में छह जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां भी चट्टान में उकेरी गई है. इससे यह स्पष्ट होता है कि यहां पर जैन धर्म के अनुयायी भी रहे होंगे. कुछ लोगों का कहना है कि खजाने तक पहुंचने का यह रास्ता वैभारगिरि पर्वत से होते हुए सप्तपर्णी गुफाओं तक जाता है.
यह गुफा वैष्णव संप्रदाय के अधीन भी था : इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि यह गुफा कुछ समय के लिए वैष्णव संप्रदाय के अधीन भी रही होंगी, क्योंकि इन गुफाओं के बाहर भगवान विष्णु की प्रतिमा मिली थी. विष्णु की यह प्रतिमा गुफा के बाहर स्थापित की जानी थी, मगर मूर्ति की फिनिशिंग का कार्य पूरा होने से पहले की काम में लगे लोगों किसी कारणवश यह जगह छोड़कर जाना पड़ा होगा. जिसके कारण यह मूर्ति बिना स्थापित किये ही रह गयी. फिलहाल विष्णु भगवान की यह मूर्ति नालंदा म्यूजियम में रखी हुई है.
गुफा की चट्टान पर शंख लिपि में छिपा है रहस्य
गुफा के कमरे में चट्टान पर शंख लिपि में कुछ लिखा है. इसे आज तक पढ़ा नहीं जा सका है. ऐसा माना जाता है चट्टान पर शंख लिपि में अंदर के कमरे को खोलने का रहस्य छिपा है. ऐसी मान्यता है कि इसी शंख लिपि में लिखी बातों में ही खजाने को खोलने का रहस्य छिपा है. दोनों ही गुफाएं तीसरी व चौथी शताब्दी में चट्टानों को काटकर बनायी गयी है. गुफा के कमरों को पॉलिश किया हुआ है.
गुफा के दरवाजे को तोप से उड़ाने का हुआ था प्रयास
अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान इस गुफा को तोप से उड़ाने का प्रयास किया गया, मगर अंग्रेज इस प्रयास में सफल नहीं हुए थे. आज भी इस गुफा पर तोप के गोले के निशान मौजूद हैं. अंग्रेजों की कोशिश गुफा में छुपे खजाने को प्राप्त करने की थी. सोन भंडार में प्रवेश करते करीब 10.4 मीटर लंबा ओर 5.2 मीटर चौड़ा एक कमरा है. इस कमरे की ऊंचाई 1.5 मीटर है.