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खुद की पहचान साबित करने में 15 साल से जुटा है जगतानंद

सही नाम नहीं होने के संदेह में कर दिया गया था बर्खास्त ठेका पीउन से 2001 में चतुर्थ श्रेणी में हुई थी बहाली बिहारशरीफ : शहर के इमादपुर निवासी जगतानंद की कहानी मुंगेरी लाल से कम नहीं है. 15 साल से वह खुद की पहचान को सत्यापित करने के लिए कार्यालयों का चक्कर लगा रहा […]

सही नाम नहीं होने के संदेह में कर दिया गया था बर्खास्त

ठेका पीउन से 2001 में चतुर्थ श्रेणी में हुई थी बहाली
बिहारशरीफ : शहर के इमादपुर निवासी जगतानंद की कहानी मुंगेरी लाल से कम नहीं है. 15 साल से वह खुद की पहचान को सत्यापित करने के लिए कार्यालयों का चक्कर लगा रहा है. उसका कहना है कि मैं ही जगतानंद हूं और वह इसे साबित करने की जुगत में लगा है. मामला है कि शहर के इमादपुर निवासी स्व. वृजनंदन प्रसाद के पुत्र जगतानंद प्रसाद की 2001 में ठेका पीउन से चतुर्थ श्रेणी में बहाली हुई थी. इसके बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नूरसराय में तैनात किया गया. 2003 में सीएस के आदेश से इसकी सेवा को जिला मुख्यालय समाहरणालय को वापस कर दी गयी और सही नाम जगतानंद प्रसाद होने में संदेह व्यक्त किया गया.
जगतानंद प्रसाद बताते हैं कि उस समय से आज तक कोई दावेदार सामने नहीं आया है. वह बताता है कि तब से लेकर आज तक कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन, न्याय नहीं मिल पाया है. पुन: तीन अक्तूबर, 2017 को स्वास्थ्य सेवा निदेशक प्रमुख ने जिलाधिकारी, सिविल सर्जन को पत्र प्रेषित कर आवेदक की पहचान स्थापित कर उन्हें पुन: पदस्थापित करने को कहा. पत्र में यह भी लिखा है कि समर्पित अभिलेखों की वैधता सुनिश्चित करते हुए कि आवेदक वास्तव में वही जगतानंद प्रसाद है, जिनकी नियुक्ति जिला नजारत शाखा समाहरणालय नालंदा के माध्यम से की गयी थी. यदि निर्धारित होता है कि आवेदक को वही है, तो शीघ्र उसे फिर से पदस्थापित करने का निदेश सिविल सर्जन को दिया जाये.

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