नालंदा : कभी बंगाली सैलानियों से गुलजार रहने वाला युवा छात्रावास डेढ़ दशक से वीरान है. सैलानियों के इंतजार से इसकी हालत काफी जर्जर हो गयी है. छत जहां-तहां से टूट कर गिर रहा है. दो दशक से इसकी रंगाई-पोताई भी नहीं करायी गयी है. यह हाल है राजगीर के युवा छात्रावास की मगध साम्राज्य की ऐतिहासिक राजधानी में बने इस छात्रावास का संचालन पिम बंगाल सरकार के स्पोर्ट्स एंड यूथ सर्विस डिपार्टमेंट के द्वारा किया जाता है.
इस छात्रावास में 14 कमरे, चार डाेरमेट्री, चार शौचालय और स्नानघर है. पिम बंगाल सरकार ने 1980 ई में बना बनाया भवन युवा छात्रावास के लिए राजगीर में क्रय किया था. बंगाल सरकार ने बंगाली सैलानियों के लिए यह व्यवस्था की थी. यहां बंगाली टूरिस्टों को डाेरमेट्री में 100 रुपये बेड और कमरा के लिए 200 किराया लगता था. सस्ते किराये पर सैलानी एक-एक सप्ताह यहां रह कर गरम जल के कुंडों का आनंद लेते और धरोहरों का दीदार करते थे. छात्रावास सहायक श्रीकांत कोले की माने तो 2002 से इस युवा छात्रावास की बुकिंग बंद है. बंगाल सरकार ने यूथ होस्टल के इस बिल्डिंग को असुरक्षित घोषित कर दिया है.
इस युवा छात्रावास की बुकिंग वर्द्धमान के जिला युवा पदाधिकारी कार्यालय से होता था. पिम बंगाल के अलावे बिहार के राजगीर, झारखंंड के मैथन और उड़ीसा के पूरी में भी पिम बंगाल सरकार का युवा छात्रावास है. बंगाल छोड़ सभी राज्यों के युवा छात्रावास की हालत जर्जर है. फलस्वरूप बंगाली पर्यटक होटल में अधिक किराया देकर ठहरने के लिए मजबूर हैं. इस छात्रावास की देखभाल के लिए सरकार ने चार कर्मियों को नियुक्त किया था. इनमें दो रिटायर कर गये हैं. इस छात्रावास के इंचार्ज सुवीक कुमार हाजरा हैं, जो राजगीर में नहीं रहते हैं. श्रीकांत कोले उनके सहायक और कुसुम प्यारी देवी अटेंडेंट हैं. इन दोनों के पास काम का अभाव है. समय काटना मुश्किल होता है. कोले ने बताया कि ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद युवा छात्रावास के दुर्दिन में बदल रहे हैं. युवा निदेशालय के सीनियर ऑफिसर के द्वारा करीब डेढ़ साल पहले इस छात्रावास का निरीक्षण किया गया है. पुरानी बिल्डिंग को ध्वस्त कर नया बिल्डिंग बनाने का प्रस्ताव बंगाल सरकार के भेजा गया है. इसके लिए चार करोड़ का प्राक्कलन भी तैयार किया गया है. पश्चिम बंगाल के सभी यूथ होस्टल की तस्वीर बदल गयी है. राजगीर के इस होस्टल का दिन भी बदलने वाला है.