आरडीएस कॉलेज में दो दिवसीय राष्ट्रीय वैदिक गणित कार्यशाला का शुभारंभ
मुख्य अतिथि जेपी विवि के कुलपति ने वैदिक गणित पर विस्तार से की चर्चाविभिन्न राज्यों के 181 शिक्षक, शोधार्थी और छात्र कार्यशाला में हुए शामिल
डी 24उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुरआरडीएस कॉलेज आइक्यूसी व उत्तर बिहार के शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की ओर से दो दिवसीय राष्ट्रीय वैदिक गणित कार्यशाला शुरू हुई. उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि छपरा के जेपी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पी के वाजपेयी ने कहा, वैदिक गणित प्रकृति की भाषा है. यह वेदों से निकली है और प्रकृति के नियमों के अनुरूप, अत्यंत सरल, तेज व रचनात्मक तरीके से गणना करने में मदद करती है. वैदिक गणित की विधियां प्रकृति की तरह सहज, सुसंगत और एकीकृत होती है. यह मानसिक सतर्कता, तार्किक सोच व अंतर्ज्ञान को विकसित करती है. इससे मानवीय मन की रचनात्मकता व सहज ज्ञान को बल मिलता है. वैदिक गणित और दर्शनशास्त्र का गहरा संबंध है.
मुख्य वक्ता नयी दिल्ली के वैदिक गणित शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ राकेश भाटिया ने कहा कि वैदिक गणित एक अमूल्य और समृद्ध ज्ञान की पूंजी है. यह प्राचीन भारतीय ऋषियों द्वारा वेदों से लिये गये 16 प्रमुख सूत्रों व 13 उपसूत्रों पर आधारित है. यह प्रणाली जटिल गणितीय समस्याओं को हल करने के लिए अत्यंत सरल, तेज व मानसिक गणना पर केंद्रित विधियां प्रदान करती है. शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रयास से वैदिक गणित में सर्टिफिकेट व डिप्लोमा कोर्स को पूरे देश के विश्वविद्यालय में लागू कराने का प्रयास किया जायेगा.भारतीय भाषा मंच के राष्ट्रीय संयोजक प्रो राजेश्वर कुमार ने कहा कि गणित भारत का जीवन दर्शन है. गणित के बिना ज्ञान आधारित समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है. प्राचार्य डॉ शशि भूषण कुमार ने अतिथियों का स्वागत अंग वस्त्र व पौधा देकर किया. निर्णय लिया गया कि आरडीएस कॉलेज में जल्द ही वैदिक गणित केंद्र खोला जायेगा और विवि में वैदिक गणित पर सर्टिफिकेट व डिप्लोमा कोर्स भी सरकार के सहयोग से कराने का प्रयास किया जायेगा.
गणित की समस्याओं के बताये सूत्र
शैक्षणिक सत्र के प्रथम सत्र में समन्वयक डॉ रजनीकांत के निर्देशन में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सह संयोजक डॉ राकेश भाटिया द्वारा वैदिक गणित और उसके सूत्रों पर विशेष रूप से प्रकाश डाला गया. उन्होंने पीपीटी के माध्यम से गणित के जटिल समस्याओं को तेजी से समाधान करने के सूत्रों को विस्तार पूर्वक बताया. दूसरे सत्र के समन्वयक डॉ सौरभ राज के निर्देशन में विषय विशेषज्ञ विनोबा भावे विवि, हजारीबाग के प्रो विमल मिश्रा ने प्राचीन भारत में गणित का योगदान विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला. संचालन कार्यक्रम के सहसंयोजक डॉ आलोक त्रिपाठी ने किया. विषय प्रवेश कार्यक्रम संयोजक डॉ भगवान कुमार और धन्यवाद ज्ञापन डॉ हसन रजा ने किया. कार्यशाला में सिक्किम, पश्चिम बंगाल, एमपी, यूपी, नयी दिल्ली, छत्तीसगढ़, झारखंड व बिहार से 181 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

