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भुगतान के बाद ट्रांजेक्शन आइडी और स्टेटस का कॉलम हो जाता ब्लैंक

भुगतान के बाद ट्रांजेक्शन आइडी और स्टेटस का कॉलम हो जाता ब्लैंक

:: विश्वविद्यालय को भी नहीं मिलता पेमेंट, बीच में सेंधमारी कर रही गेटवे कंपनी

वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रोफेशनल, वोकेशनल और सैद्धांतिक कोर्स से फाइनल इयर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद डिग्री, प्रोविजनल, माइग्रेशन से लेकर अन्य प्रमाणपत्रों के लिए ऑनलाइन आवेदन में करोड़ों रुपये की सेंधमारी की जा रही है. प्रतिदिन दर्जनों की संख्या में छात्रों के खाते से प्रमाणपत्र की फी के बदले में ली जाने वाली राशि विश्वविद्यालय को नहीं मिलती. वेबसाइट में एरर कहें या कार्य कर रही गेटवे कंपनी की सेंधमारी यह छात्रों के समझ से पड़े है. शहर के साइबर कैफे संचालक भी इससे परेशान हो गये हैं. वे जब भुगतान करते हैं तो उस समय ट्रांजेक्शन सफल बताता है. पावती में भी उसका जिक्र रहता है, लेकिन इसके बाद ट्रांजेक्शन आइडी और स्टेटस का कॉलम ब्लैंक हो जाता है. ऐसे में जब वे डिग्री के लिए वह पावती विश्वविद्यालय में प्रस्तुत करते हैं तो भुगतान नहीं होने की बात कह उन्हें लौटा दिया जाता है. ऐसे एक दो नहीं दर्जनों मामले प्रतिदिन सामने आ रहे हैं. परीक्षा विभाग में शिकायत करने पर छात्रों को यह कह कर लौटाया जा रहा है कि पेमेंट के संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. ऐसे में छात्र परेशान हो रहे हैं कि विश्वविद्यालय के अधिकृत वेबसाइट से पेमेंट करने के बाद भी विश्वविद्यालय को जानकारी नहीं है तो अन्य कौन क्या बताएगा. विश्वविद्यालय की ओर से कहे जाने पर कई छात्रों ने दोबारा भुगतान किया तब उन्हें प्रमाणपत्र दिया गया. ऐसे में विश्वविद्यालय के सिस्टम पर सवाल यह उठ रहा है कि छात्र की ओर से भुगतान किए जाने के बाद वह पैसा विश्वविद्यालय को नहीं मिल रहा है तो इसमें सेंधमारी कहां से हो रही है. पूर्व के पदाधिकारियों से भी इस प्रकार की दर्जनों शिकायतें की गयी थी, लेकिन अबतक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया.

कैफे संचालकों से अक्सर हो रहा विवाद

ऑनलाइन आवेदन के समय ट्रांजेक्शन आइडी दिखने और बाद में गायब हो जाने पर साइबर कैफे संचालक विवादों में घिर जा रहे हैं. कैफे संचालकों का कहना है कि उन्होंने भुगतान किया और बैंक से उसका स्टेटमेंट भी निकलवाकर ग्राहक को दिखाया पर स्टेटस और ट्रांजेक्शन आइडी नहीं दिखने के कारण छात्रों को यह लगा कि भुगतान हुआ ही नहीं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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