माधव 2,3
एसकेएमसीएच अधीक्षक भवन से रैली निकालकर प्राचार्य को सौंपा ज्ञापनतत्काल निलंबन वापस नहीं होने पर आंदोलन की दी चेतावनी
उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुरएसकेएमसीएच अधीक्षक प्राे डाॅ कुमारी विभा के निलंबन के विराेध में डॉक्टरों ने एसकेएमसीएच परिसर में विराेध मार्च निकाला. अधीक्षक कार्यालय से निकली यह रैली कॉलेज के प्राचार्य प्रो डाॅ आभा रानी सिन्हा के कार्यालय तक पहुंची.एसकेएमसीएच टीचर्स एसाेसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने अधीक्षक काे स्वास्थ्य मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा, जिसमें बताया गया कि एसकेएमसीएच में कुढ़नी की दुष्कर्म पीड़िता के इलाज में लापरवाही नहीं हुई है. एसकेएमसीएच अधीक्षक के नेतृत्व में समुचित इलाज किया गया है. जिससे बच्ची की हालत में सुधार भी हुआ था और परिवार भी इलाज से संतुष्ट था. उसकाे ट्रैकिया रिकंस्ट्रक्शन के लिए एडवांस एंबुलेंस के जरिये पटना पीएमसीएच भेजा गया था, जहां संबंधित अधीक्षक को सूचना भी दी गयी थी.
बावजूद इसके इलाज में हुई देरी ने उसकी जान ले ली. इस पूरे मामले में जांच प्रक्रिया अधूरी थी, लेकिन जांच पूरी होने से पहले ही अधीक्षक प्राे डॉ कुमारी विभा को निलंबित कर दिया गया. इसे डॉक्टरों ने जल्दबाजी और निंदनीय करार दिया. विरोध कर रहे डॉक्टरों ने सरकार से तत्काल निलंबन वापस लेने की मांग की है. साथ ही कार्रवाई वापस नहीं लेने पर चरणबुद्ध आंदोलन की चेतावनी दी गयी. रैली में डाॅ विजय भारद्वाज, डाॅ संजय कुमार, डॉ विभा वर्मा, डॉ जेपी मंडल, डॉ विजय कुमार सिंह, डॉ शैलेंद्र कुमार, डॉ दीपक कर्ण, डॉ अरुण कुमार, डॉ प्रीति, डॉ प्रियंका, डॉ शालीन, डॉ सुशांत, डॉ सुनील, डाॅ सुधांशु, डॉ अमलेंदु, डॉ अमित, डॉ एसके पाठक, डॉ संजय, डॉ गणेश पासवान, डॉ कौशल ठाकुर, डॉ राकेश सहित बड़ी संख्या में डॉक्टर व छात्र-छात्राएं शामिल थे. वर्जनसरकार को निलंबन मुक्त करने के लिये यहां से ज्ञापन भेजा गया है. बच्ची की मौत में एसकेएसीएच प्रशासन की लापरवाही नहीं है तो यहां अधीक्षक को निलंबित करने का कोई मतलब ही नहीं है. सरकार 48 घंटों के अंदर निलंबन वापस नहीं लेती है तो हमलोग बैठक कर आगे की रणनीति बनायेंगे – डॉ सुधीर कुमार, सचिव, आइएमए
अधीक्षक दोषी नहीं, निलंबन की कार्रवाई गलत
बिहार हेल्थ सर्विस एसोसिएशन की जिला इकाई ने सदर अस्पताल परिसर में बैठक कर एसकेएमसीएच अधीक्षक के निलंबन की कार्रवाई को अनुचित बताया. आक्रोशित डॉक्टरों का कहना था कि बच्ची जब एसकेएसीएच में आयी थी तो उसका ऑक्सीजन लेवल 30 फीसदी था. यहां पांच दिनों तक डॉक्टर की मेहनत की बदौलत उसका ऑक्सीजन लेवल 90 फीसदी तक पहुंच गया था. उसे बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच रेफर किया गया था. इस बात की जानकारी पीएमसीच के उपाधीक्षक को भी थी. इसमें एसकेएमसीएच के अधीक्षक की गलती नहीं है. एक कमेटी इसकी जांच भी कर रही थी और इसके रिपोर्ट आने से पहले ही अधीक्षक को निलंबित कर दिया गया. इस तरह की कार्रवाई से डॉक्टरों का मनोबल कमजोर होता है. हम सभी चाहते हैं कि एक टीम गठित कर मामले की जांच करायी जाये, उसमें दोषी पाये जाने पर ही कार्रवाई की जाये. इससे पहले अधीक्षक को निलंबित मुक्त किया जाये. बैठक की अध्यक्षता सचिव डॉ ज्योति प्रसाद सिन्हा ने की. मौके पर एसोसिएशन से जुड़े डॉक्टर मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है