रामकथा के दूसरे दिन प्रेम भूषण महाराज ने सुनाया दक्ष का यज्ञ प्रसंग डी 20 व 21 उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर जिला स्कूल में रामकथा के दूसरे दिन कथावाचक प्रेम भूषण महाराज ने प्रजापति दक्ष की कथा सुनायी. कहा कि प्रजापति दक्ष को अहंकार हो गया था. उनकी पुत्री सती का विवाह भगवान शिव से हुआ था, लेकिन दक्ष शिव को पसंद नहीं करते थे. दक्ष ने विशाल यज्ञ किया. सभी देवताओं व ऋषियों को आमंत्रित किया लेकिन शिव व सती को निमंत्रण नहीं भेजा. सती जब कैलाश पर थीं, तो उन्होंने आकाश में देवताओं को कहीं जाते देखा. उन्होंने शिव से पूछा तो पता चला कि उन्हीं के पिता यज्ञ कर रहे हैं, लेकिन उन दोनों को नहीं बुलाया गया है. शिव ने सती को समझाया कि बिना निमंत्रण आयोजन में जाना ठीक नहीं. लेकिन सती ने हठ किया और बिना बुलाए यज्ञ में चली गयीं. वहां देखा कि यज्ञ में सभी देवताओं का भाग रखा गया है, लेकिन शिव का नहीं है. दक्ष ने सती का भी अपमान किया और शिव की निंदा की. पति का अनादर होता देख सती नाराज हो गयीं और कहा कि आप सभी को सजा दूंगी. ऐसा बोलकर मां भगवती यज्ञ की अग्नि में प्रवेश कर गयीं. इस पर प्रधान ने यज्ञ को विधिवत विध्वंस किया. संत प्रेम भूषण महाराज ने कहा कि यज्ञ आदर देने के लिए होना चाहिये, मान करने के लिए होना चाहिये, किसी को अपमान करने के लिए नहीं. भगवान शिव को जब यह पता चला तो वे क्रोधित हो गये. उन्होंने अपने बाल को पटक कर वीरभद्र व भद्रकाली को उत्पन्न किय. वीरभद्र ने दक्ष के यज्ञ को नष्ट कर दिया और दक्ष का सिर काट दिया. इसके बाद पितामह ब्रह्मा व विष्णु भगवान पधारे और शिव से प्रार्थना की. इस अवसर पर गोविंद प्रसाद भिवानी वाला व प्रेमचंद गुप्ता, घनश्याम अग्रवाल, किशन अग्रवाल, रामनरेश, प्रेम गुप्ता, अमित, श्रवण अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, रमेश बारोलिया, अशोक बारोलिया, प्रेम मोदी, मनीष अग्रवाल, सुभाष बिंजराजका, डब्बू व राजीव केजरीवाल मौजूद थे.
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