प्रभात कुमार, मुजफ्फरपुर
जिले में 2.25 करोड़ जमाबंदी पृष्ठों के डिजिटलीकरण और स्कैनिंग का काम पूरा हो गया है. इस योजना का मुख्य लक्ष्य भूमि अभिलेखों को डिजिटल रूप में सुरक्षित रखना और उन्हें आम जनता के लिए सुलभ बनाना है.यह काम कई चरणों में किया जा रहा है. पहले चरण में, सभी जमाबंदी पृष्ठों की स्कैनिंग और डेटा कैप्चरिंग का काम पूरा कर लिया गया है. इस प्रक्रिया में, मैन्युअल रूप से दर्ज किए गए पुराने अभिलेखों को डिजिटल प्रारूप में बदला गया है.अगले चरण में, डिजिटल डेटा की गुणवत्ता की गहन जांच और सत्यापन किया जाएगा. यह तय करने के लिए कि डेटा सही और सटीक है, इसकी जांच कई स्तरों पर होगी, जिससे किसी भी तरह की त्रुटि को सुधारा जा सके.डिजिटल न करने से नुकसान
भूमि अभिलेखों को डिजिटल न करने से कई नुकसान होते हैं, जिनमें भूमि विवादों में वृद्धि, संपत्ति के हस्तांतरण में देरी, भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी शामिल हैं. इसके अलावा, यह विकास परियोजनाओं में देरी और भूमि का दुरुपयोग भी करता है. डिजिटल भूमि अभिलेखों के अभाव में, भूमि विवादों का समाधान करना मुश्किल हो जाता है, जिससे अदालतों में मुकदमों की संख्या बढ़ जाती है. पुराने और त्रुटिपूर्ण अभिलेखों के कारण, संपत्ति के हस्तांतरण में भी देरी होती है, जिससे आर्थिक विकास में बाधा आती है. पारंपरिक भूमि अभिलेख प्रणाली में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की संभावना अधिक होती है, जबकि डिजिटल प्रणाली पारदर्शिता और सुरक्षा प्रदान करती है. इसके अलावा, भूमि अभिलेखों को डिजिटल न करने से सरकारी भूमि का दुरुपयोग होता है,फायदा
सुविधा: अब लोग अपनी जमाबंदी की जानकारी ऑनलाइन आसानी से प्राप्त कर सकेंगेपारदर्शिता: भूमि से जुड़े मामलों में पारदर्शिता आएगी और धोखाधड़ी कम होगी
सुरक्षा: पुराने और नाजुक कागजी अभिलेखों के नष्ट होने या खोने का खतरा कम हो जाएगा, क्योंकि उनकी डिजिटल प्रतियां सुरक्षित रहेंगीडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

