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रिकार्ड तोड़ गर्मी के बीच सूखने लगी ताल-तलैया, शहर में 46 तो गांवों में 25 फीट तक नीचे पहुंचा भूजल स्तर 

पहले ग्रामीण इलाकों में पीने का पानी 18-20 फीट की गहराई पर निकल जाता था, अब जलस्तर गिरने लगा है. गिरते भूजल स्तर पर पीएचईडी और नगर निगम की नजर है, मुजफ्फरपुर शहर का जलस्तर 50 फीट तक नीचे जाने की आशंका है.

मुजफ्फरपुर में रिकॉर्ड तोड़ रही गर्मी के बीच भू-जल स्तर तेजी से नीचे जाने लगा है. शहर में जहां 46 फुट तक भू-जल स्तर नीचे चला गया है. वहीं, ग्रामीण इलाको में भी 25 फुट के नीचे लेयर पहुंच गया है. इससे शहर के साथ ग्रामीण इलाकों तक में पेयजल संकट गहरा गया है. चैत्र व ज्येष्ठ महीने में पेयजल संकट झेलने के बाद जिस तरीके की गर्मी पड़ रही है. लोगों को वैशाख भी रुलाएगा. कारण कि चिलचिलाती धूप व तपिश वाली इस गर्मी में सिर्फ भू-जल स्तर ही नीचे नहीं जा रहा है. बल्कि, जिले से होकर गुजरने वाली नदियां, नहर भी सूखने लगी है.

गांव के तालाब व मन तक का पानी कम गया है. पानी सूखने के बाद तालाब व मन में जंगल उपज आया है. खेतों की सिंचाई पर असर पड़ रहा है. इससे साग-सब्जी व मक्का सहित अन्य फसल उपजाने में किसानों को काफी परेशानी हो रही है. जिले के सकरा, मुरौल, कुढ़नी व कांटी इलाके की स्थिति काफी खराब है. इन चारों प्रखंड के कई ऐसे गांव है, जहां का भू-जल स्तर 25 फुट को पार करते हुए नीचे चला गया है.

वहीं, मुजफ्फरपुर शहर में बूढी गंडक नदी से सटे लकड़ी ढाई, चंदवारा, अखाड़ा घाट, बालू घाट व उसके आसपास के इलाके में 45 व 46 फुट के नीचे भू-जल स्तर पहुंच चुका है. जिस तरीके की मौसम है. अगर बारिश नहीं होती है. तब इस बार रिकॉर्ड तोड़ 50 फुट के पार भी भू-जल स्तर जा सकता है. इसके बाद नगर निगम का जो उच्च क्षमता वाला जलापूर्ति बोरिंग है. इससे भी पानी आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका जतायी जा रही है.

सरकारी चापाकलों की मरम्मत के बाद भी राहत नहीं

जिले में सरकारी चापाकल की मरम्मत के लिए प्रखंड स्तर पर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण (पीएचइडी) की टीम काम कर रही है. शहरी क्षेत्र में भी नगर निगम सरकारी चापाकलों की मरम्मत करा रहा है. लेकिन, इससे भी राहत नहीं है. तेजी से वाटर लेयर नीचे जाने के कारण बनने के बाद भी चापाकलों से पानी नहीं निकल रहा है.

इधर, पीएचईडी के इंजीनियरों का कहना है कि गर्मी का सीजन शुरू होने के कारण भूजल स्तर में गिरावट आती है. अभी तक कहीं से इस तरीके की शिकायत नहीं मिली है, जिससे वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पानी की आपूर्ति की जाए. नल-जल योजना के तहत सभी गांवों में पानी की आपूर्ति है. खराब चापाकल की मरम्मत कराई जा रही है.

क्यों ज्येष्ठ व वैशाख में सूख जाती हैं नदियां

ज्येष्ठ व वैशाख के महीने में गर्मी अपने चरम पर होती है. इन महीनों में गर्मी इतनी अधिक पड़ती है कि पानी के लगभग सभी स्रोत जैसे नदी, तालाब, कुंड और झरने सभी सूख जाते हैं. ज्येष्ठ का महीना सबसे ज्यादा गर्म होने की वजह से यह सबसे ज्यादा कष्टकारी होता है. इस महीने सूर्यदेव का रौद्र रूप धरती पर सबसे ज्यादा पड़ता है. जिस कारण सभी नदियों और तालाब में बहुत ही कम पानी रह जाता है, जिसके कारण पशु-पक्षियों का जीवन भी कष्टकारी हो जाता है.

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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