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यूनिवर्सिटी कम्युनिटी हॉल के बगल वाले तालाब की बदलेगी सूरत, निगम करायेगा सौंदर्यीकरण

यूनिवर्सिटी कम्युनिटी हॉल के बगल वाले तालाब की बदलेगी सूरत, निगम करायेगा सौंदर्यीकरण

-पांच एकड़ में है यह जलाशय, सौंदर्यीकरण के लिए आसपास में खाली है पर्याप्त जगह-अमृत 2.0 के तहत नगर विकास एवं आवास विभाग ने जिलाधिकारी से मांगा है प्रस्ताव

मुजफ्फरपुर.

सिकंदरपुर मन के बाद शहर के सबसे बड़े यूनिवर्सिटी तालाब का सौंदर्यीकरण अब नगर निगम करायेगा. बीआरए बिहार विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसके लिए एनओसी प्रदान कर दिया है. यह तालाब यूनिवर्सिटी प्रशासनिक भवन के पीछे कम्युनिटी हॉल एवं सोशल साइंस ब्लॉक के बगल में स्थित है. तालाब लगभग पांच एकड़ में है. सालों भर इस तालाब में पानी रहता है. बगल में ही यूनिवर्सिटी का हेल्थ सेंटर भी है. लेकिन, सौंदर्यीकरण के अभाव में तालाब की सूरत दिनों-दिन बिगड़ती चली गयी. अब इस तालाब को नगर निगम अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (अमृत) योजना से सौंदर्यीकरण करा आसपास के एरिया को सुंदर बनायेगा. सौंदर्यीकरण कर पार्क जैसा लुक दिया जायेगा. इसकी प्रशासनिक कवायद तेज हो गयी है. उम्मीद है कि अगले महीने एस्टीमेट बना टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी. स्थानीय पार्षद राजीव कुमार पंकू ने कहा कि छह महीने पहले ही कुलपति ने उन्हें तालाब के रखरखाव व सौंदर्यीकरण के लिए एनओसी प्रदान कर दिया है. कम्युनिटी हॉल के बगल का तालाब शहर का सबसे बड़ा तालाब है. इसके बाद दूसरा तालाब रीडर क्वार्टर के बीचों-बीच बना है, जहां हर वर्ष छठ व्रती पूजा करते हैं. इस तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए भी प्रस्ताव मेरे तरफ से नगर निगम को दिया जा चुका है. इसका सौंदर्यीकरण मुख्यमंत्री हरियाली मिशन योजना से होना है.

सरकार से पिछले महीने ही मांगी गई थी रिपोर्ट

केंद्र सरकार की तरफ से अमृत 2.0 के तहत जलाशय के बगल में नया पार्क डेवलप करने के लिए पिछले महीने ही प्रस्ताव मांगा गया है. इसमें कहा गया था कि नये पार्क का क्षेत्रफल न्यूनतम पांच एकड़ का होगा. अगर शहरी क्षेत्र में कोई पुराना जलाशय है, तो उसे भी विकसित कर पार्क का रूप दिया जायेगा. जमीन चिह्नित होने के बाद इसी साल में नये पार्क का निर्माण शुरू होगा. सचिव ने कहा है कि पार्क का प्रस्ताव भेजते वक्त इसका हर हाल में ख्याल रखना है कि चिह्नित जमीन शहरी क्षेत्र से दूर नहीं हो. इसका क्षेत्रफल पांच एकड़ तक होना जरूरी है. पूर्व से कोई पार्क व जलाशय बना है. अगर उसका पुनर्विकास की आवश्यकता है, तो इसका भी जिक्र प्रस्ताव में करना है.

अपेक्स कमेटी से मंजूरी मिलने के बाद होगा काम

अमृत 2.0 योजना से पार्क विकसित करने का मुख्यालय स्तर पर एक अपेक्स कमेटी बनायी गयी है. जिलों से भेजे गये प्रस्ताव अपेक्स कमेटी के समक्ष रखा जायेगा. कमेटी प्रस्ताव की जांच करेगी. इसके बाद शहरों का चयन होगा. इसका मकसद, शहरों में रहने वाले लोगों की जिंदगी की गुणवत्ता में सुधार करना है.

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