एक महीने तक ग्रोथ पर रहा कई सेक्टरों का बाजारचूरा इलाइचीदाना औरपेड़ा की हुई सबसे अधिक बिक्री मुजफ्फरपुर. सावन शिव भक्ति का महीना है. इस महीने में यहां गरीबनाथ मंदिर में जलाभिषेक के लिए सूबे के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आते हैं. पहलेजा से जलबोझी कर यहां आने वाले कांवरियों के कारण यहां का बाजार काफी ग्रोथ पर रहता है. इसके अलावा स्थानीय भक्त भी पूजा के लिए खरीदारी करते हैं. घरों में रूद्राभिषेक किया जाता है. इससे पूजन सामग्री की बिक्री सबसे अधिक होती है. इस बार सावन की पांच सोमवारी थी, जिस दौरान करीब तीन लाख कांवरियों ने बाबा का जलाभिषेक किया. इसके अलावा दो लाख स्थानीय भक्तों ने भी बाबा की पूजा की. गरीबनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी पं.विनय पाठक की मानें तो जिले से करीब 50 हजार कांवरियों ने पहलेजा से जलबोझी की और करीब ढाई लाख कांवरिये दूसरे जिलों और विभिन्न राज्यों से आए थे. परंपरा के लिहाज से कांवरिये बाबा को जलाभिषेक कर प्रसाद की खरीदारी शहर के बाजार से की, जिसमें चूरा, इलायचीदाना और पेड़ा का सबसे अधिक बाजार रहा. इसके अलावा कांवरियों ने शृंगार प्रसाधन की सामग्री और खिलौनों की भी खरीदारी की. अगर तीन लाख कांवरियों ने प्रसाद सहित अन्य सामग्रियों की खरीदारी पर 500 भी खर्च किया होगा तो शहर में विभिन्न सेक्टरों में करीब 15 करोड़ का कारोबार हुआ. इसके अलावा जिले से पहलेजा जाने वाले 50 हजार कांवरियों ने कांवर परिधान पर 500 रुपया खर्च किया होगा तो ढाई करोड़ का खर्च किया. दो करोड़ से अधिक कांवरियों की सेवा पर खर्च शहर में पांचों सोमवारी पर करीब दो दर्जन शिविर लगाए गये. जिसमें कांवरियों के भोजन, चाय-नाश्ता, बोतल बंद पानी की व्यवस्था की गयी थी. पांचों सोमवारी पर लगाये गये शिविर में स्वंयसेवी संगठनों ने काफी रुपए खर्च किये. एक शिविर संचालक ने बताया कि पांचों सोमवारी के शिविर में करीब दस लाख का खर्च आया है. इस लिहाज से देखा जाए तो दो करोड़ कांवरियों की सेवा में खर्च किए गये, जिसके लिए अनाज की खरीदारी गोला मंडी और बाजार समिति से की गयी. इस तरह अनाज के बाजार का भी काफी ग्रोथ रहा. इसके अलावा मेडिकल व्यवस्था के लिए भी शिविर संचालकों ने दवाओं में करीब पांच लाख से अधिक खर्च किए. एक महीने तक शहर में रहा भक्तिमय माहौल सावन में एक महीने तक भक्तिमय माहौल रहा. गरीबनाथ मंदिर में रोज जलाभिषेक करने वालों की संख्या काफी बढ़ गयी थी. जिससे फूल और बेलपत्र की भी अच्छी बिक्री हुई. कई लोगों ने अपने घरों में रूद्राभिषेक पूजन कराया. महिलाओं ने सावन के प्रत्येक सोमवार को व्रत रखा और फलाहार किया. अधिकतर लोगों ने शाकाहारी व्यंजनों को अपनाया और शिव भक्ति में लीन रहे.
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