-बीआरएबीयू के कुलपति प्रो.डीसी राय के अध्ययन के दौरान तथ्य आया सामने मुजफ्फरपुर. बीते कुछ दशकों में विश्व के साथ-साथ भारत में भी बुजुर्गों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. 2011 की जनसंख्या के अनुसार भारत में बुजुर्गों की संख्या 10 करोड़ से अधिक है. सर्वेक्षण में पता चला है कि शहरों में रहनेवाले 18 प्रतिशत बुजुर्ग कुपोषण के शिकार हैं. वहीं 20 प्रतिशत बुजुर्गों को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही है. साथ ही उन्हें अमानवीय व्यवहार झेलना पड़ रहा है. बीआरएबीयू के कुलपति प्रो.डीसी राय के कुपोषण और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को लेकर किए गए अध्ययन के दौरान यह जानकारी सामने आयी है. कुलपति के नेतृत्व में राजीव गांधी विश्वविद्यालय, अरुणाचल प्रदेश के डॉ अशोक कुमार यादव और सीएसजेएम विश्वविद्यालय कानपुर के डॉ अमन राठौर ने यह अध्ययन किया है. वृद्धावस्था पोषण और स्वास्थ्य संबंधों के वर्तमान परिदृश्य : सिल्वर एज रिव्यु शीर्षक पर यह अध्ययन अंतरराष्ट्रीय जर्नल एनल्स ऑफ फाइटोमेडिसिन, इम्पैक्ट फैक्टर 2.7 में प्रकाशित हुआ है. अध्ययन के क्रम में यह पाया गया है कि बुजुर्गों में विटामिन डी और बी-12, कैल्शियम और प्रोटीन जैसी सामान्य पोषण संबंधी कमियों की पहचान हुई है. ये कमियां ऑस्टियोपोरोसिस, मांसपेशियों में संकुचन और संज्ञात्मक गिरावट सहित विभिन्न समस्याओं से जुड़ी है. इसमें सुझाव यह दिया गया है कि उचित पोषण बुजुर्गों में प्रचलित पुरानी बीमारियों के प्रबंधन में अहम भूमिका निभा सकता है. रोग प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए फाइटोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर संतुलित आहार की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है. इसमें विशेष रूप से वंचित समुदायों के लिए पौष्टिक भोजन व स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार करने के उद्देश्य से नीतियों की मांग की गयी है. शोध में यह कहा गया है कि प्लांट बेस्ड सप्लीमेंट्स बुजुर्ग लोगों को स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ाने के लिए पारंपरिक आहार हस्तक्षेपों का पूरक हो सकते हैं.
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