मनोरंजन या बर्बादी. पैरेंट्स के मोबाइल व खाते से पैसा सेंधमारी कर गेम में लगा रहा पैसा
परिजन बच्चे को गेमिंग की जाल से निकालने को करवा रहे काउंसलिंग
चंदन सिंह, मुजफ्फरपुर
ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग एप की जाल में फंसकर जिले के 40 प्रतिशत से अधिक टीन एजर्स व यूथ अपना करियर बर्बाद कर रहे हैं. अपने माता- पिता के द्वारा देखे गए डॉक्टर ,इंजीनियर, आइएएस व आइपीएस बनाने सपना पर पानी फेर रहे हैं. आलम यह है कि जिले में 14 से 35 साल के बीच के हर 10 लड़कों में से चार ऑनलाइन गेमिंग के जाल में फंस चुके हैं. रियल टाइम में ज्यादा- ज्यादा रुपये कमाने की चाह में लड़के अपने मां- बाप के अकाउंट खाली कर दे रहे हैं. बर्बाद होने के बाद यूथ के सुसाइड तक पहुंचने की नौबत आ रही है. ऑनलाइन गेम की लत इतना जकड़ लिया कि कई यूथ गेम में पैसा लगाने के चक्कर में अपराध के दलदल में फंस रहे हैं. ऑनलाइन गेमिंग एप पर ना तो सरकार का कोई कंट्रोल है और ना ही इसपर रोकथाम के लिए कोई ठोस उपाय किया जा रहा है. साइबर थाने में 2024 में ऑनलाइन गेमिंग एप के जाल में फंसे 200 से अधिक बच्चों के परिजन पहुंचे थे. जहां साइबर डीएसपी सीमा देवी ने बच्चों की काउंसलिंग की थी.वहीं, जिले के 100 से अधिक स्कूल व कॉलेजों में साइबर जागरुकता अभियान चलाया गया था. इंट्रैक्शन सेशन में 10 में से चार से पांच बच्चों ने ऑनलाइन गेम खेलने की बात स्वीकार की थी.
:: गेमिंग एप में पैसा लगाने को सूद पर देते हैं रुपये
टीन एजर व यूथ को ऑनलाइन गेमिंग एप की लत लगने पर जब पैसा नहीं मिलता है तो उनको रुपये देने के लिए सूदखोर भी उपलब्ध है. यूथ को 10 से 20 रुपये सैकड़ा पर रुपये उपलब्ध करवा देता है. इसके एवज में उनसे सादे स्टाम्प पर दस्तखत लेता है. ऑनलाइन गेमिंग में लगे रुपये की वसूली को लेकर सूदखोर प्रोटेक्शन गैंग का भी सहारा लेते हैं. जब मामला परिजन तक पहुंचता है तो उनको रुपये देना पड़ता है.
केस एक: ऑनलाइन गेमिंग में पांच लाख हारने पर की सुसाइड की कोशिश शहर के बालूघाट के रहने वाले एक 22 वर्षीय युवक ने ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग एप में पांच लाख से अधिक रुपये हार गया था. इसमें तीन लाख रुपये वह कमा कर रखा था. वहीं, दो लाख रुपये के आसपास ब्याज पर लिया था. जब रुपये नहीं चुका पाया तो चार दिन पहले वह अखाड़ाघाट पुल पर पहुंच कर सुसाइड का प्रयास किया था. उसकी दोस्तों ने जान बचायी थी. खाते से उड़ा दिये चार लाख केस दो:: कुढ़नी थाना क्षेत्र के रहने वाले एक व्यक्ति ने अपनी जमीन बेचकर खाते में 24 लाख रुपये रखा था. जब वह अकाउंट चेक कराने गया तो उसके खाते में चार लाख रुपये कम मिला. जब स्टेटमेंट निकाला तो पता चला कि चार लाख रुपये ऑनलाइन गेमिंग एप में लगाया हुआ है. जांच में पता चला कि उसके बेटे ने ही रुपये लगाया था. पहले पिता प्राथमिकी के लिए साइबर थाने में आवेदन दिया था. लेकिन, जब पता चला कि अपना ही बेटा फ्रॉड किया तो वह वापस ले लिया था.तमिलनाडु में 18 साल से कम उम्र के बच्चे को रियल मनी गेमिंग पर है बैन
तमिलनाडु सरकार ने रियल मनी गेमिंग एप को लेकर एक अध्यादेश जारी किया था. इसमें बताया था रियल मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म को रात के 12 बजे से सुबह के पांच बजे तक बंद रखना होगा . नाबालिगों के ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग एप खेलने पर प्रतिबंध, गेमिंग एप के आउंट बनाने के लिए यूजर्स का हो केवाइसी, लॉगिन का आधार आधारित सत्यापन का उपयोग, लगातार एक घंटे से अधिक गेम खेलने पर पॉप अप की चेतावनी का मैसेज, खेलने के समय के बारे में हर 30 मिनट पर फिर से मैसेज, कंपनियों को ऑनलाइन गेमिंग नशे की लत हो सकती है चेतावनी देनी होगी. पैसा जमा करें तो ऐप को उनकी खर्च की लिमिट व पुरानी हिस्ट्री दिखानी होगी.बयान :: बच्चे की गतिविधियों पर माता- पिता व शिक्षक निगरानी रखें. बच्चों के लिए ऑनलाइन गेमिंग का समय सीमित किया जाए. सरकार बच्चों के लिए ऑनलाइन गेमिंग पर एक सख्त नीति बनाएं
डॉ. एके झा,मनोचिकित्सक बयान:: ऑनलाइन गेमिंग के चक्कर में बच्चे व यूथ बर्बाद हो रहे हैं. कई परिजन उनके पास अपने बच्चे को लेकर आते हैं. बोलते है कि गेम में पैसा लगाकर अकाउंट खाली कर दे रहा है. माता- पिता अपने बच्चों पर निगरानी रखें. सीमा देवी, साइबर डीएसपीडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है