::: बिजली
कंपनी ने उठाया समायोजन और उच्च स्तरीय समिति गठन का मुद्दा, दो महीने बाद उप नगर आयुक्त को जवाब में लिखा पत्र
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
शहरी क्षेत्र में बिजली आपूर्ति पर लगने वाले 2.5 प्रतिशत उपभोक्ता अधिभार शुल्क (सरचार्ज) और अतिरिक्त भुगतान किये गये राशि के समायोजन करने को लेकर मुजफ्फरपुर नगर निगम और नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी आमने-सामने आ गये हैं. इस मामले में नगर निगम की सख्ती के बाद अब नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन के कार्यपालक अभियंता ने कंपनी के महाप्रबंधक (लेखा एवं वित्त) से दिशा-निर्देश मांगा है. दूसरी तरफ, नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के कार्यपालक अभियंता विजय कुमार ने नगर निगम के उप नगर आयुक्त को पत्र लिखकर दो मुख्य मांगें रखी हैं. पहली, होल्डिंग टैक्स के मद में अधिक जमा की गई राशि का समायोजन किया जाये. दूसरी, उपभोक्ता अधिभार शुल्क का भुगतान करने से पहले एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाये. ताकि, जो विवाद दोनों विभाग के बीच चलता आ रहा है. इसे खत्म किया जा सके. इधर, एक महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी महाप्रबंधक (वित्त एवं लेखा) की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है, जिससे यह मामला अधर में लटकता दिख रहा है. कार्यपालक अभियंता ने अपने पत्र में नगर निगम के उप नगर आयुक्त से आग्रह किया है कि वे अपने स्तर से मुख्यालय स्तर पर कमेटी गठन के लिए पत्राचार करने की कार्रवाई करें. ताकि, इस मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाया जा सके.
डेढ़ प्रतिशत जुर्माने के साथ 2013-14 से करना होगा भुगतान
महालेखाकार की ऑडिट आपत्ति का हवाला देते हुए उप नगर आयुक्त सोनू कुमार राय ने बिजली कंपनी के कार्यपालक अभियंता को वित्तीय वर्ष 2013-14 से अब तक का बकाया बिजली बिल, 1.5 प्रतिशत जुर्माने के साथ, अधिभार शुल्क सहित नगर निगम के खाते में जमा करने का निर्देश दिया है.
महालेखाकार की लगातार आपत्ति
विभिन्न नगर पालिकाओं में बिजली उपभोग पर 2.5 प्रतिशत का उपभोक्ता अधिभार शुल्क या दंड शुल्क लगाने का प्रावधान राज्य सरकार के अनुमोदन से किया गया है. पटना स्थित महालेखाकार कार्यालय मुजफ्फरपुर नगर निगम क्षेत्र में इस शुल्क की वसूली न होने पर लगातार आपत्ति व्यक्त कर रहा है.
समझे विद्युत अधिभार शुल्क
विद्युत (बिजली) के संदर्भ में, “उपभोक्ता अधिभार शुल्क ” बिजली बिल पर लगने वाला एक अतिरिक्त शुल्क है, जो मूल बिल राशि के ऊपर लगाया जाता है. यह उपभोक्ताओं को अतिरिक्त लागत वहन करनी पड़ती है. नगर निगम ने सरकार द्वारा नगर पालिका एक्ट में किये गये प्रावधान के बाद इस शुल्क की वसूली का फैसला लिया है.
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