Bihar News: बिहार सरकार ने प्रदेश में 18 नए मेडिकल कॉलेज अस्पताल बनाने की घोषणा की है. नए मेडिकल कॉलेजों के खुलने से चिकित्सा की पढ़ाई के क्षेत्र में बड़ी क्रांति आने की उम्मीद है. राज्य में डॉक्टरों की संख्या बढ़ेगी और स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुधार होगा. हालांकि, नए मेडिकल कॉलेजों में अनुभवी शिक्षकों और मेडिकल स्टाफ की भी जरूरत होगी, लेकिन वर्तमान में मेडिकल कॉलेजों की स्थिति को देखें तो उनमें पहले से ही शिक्षकों की भारी कमी है.
2019 में 1100 की गई थी असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति
नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के नियमों के अनुसार, 100 एमबीबीएस सीटों वाले मेडिकल कॉलेज में कम से कम 23 प्रोफेसर, 33 एसोसिएट प्रोफेसर, 41 असिस्टेंट प्रोफेसर और 108 रेजिडेंट डॉक्टर (सीनियर+जूनियर) की जरूरत होती है. लेकिन, प्रदेश के मौजूदा मेडिकल कॉलेजों में ही सीनियर शिक्षकों की भारी कमी है. साल 2019 में करीब 1100 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति की गई थी, लेकिन समय के साथ सभी के प्रमोशन हुए और इसके बाद अब ये पद लगभग खाली हो गए हैं.
100 एमबीबीएस सीटों को मंजूरी
प्रदेश सरकार ने अररिया और खगड़िया में 100-100 एमबीबीएस सीटों को मंजूरी दे दी है. इसके अलावा नवादा और औरंगाबाद में मेडिकल कॉलेज खोने की योजना बनाई गई है. इन जिलों में न सिर्फ मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं बल्कि इनके भवन निर्माण और आधारभूत संरचना के विकास कार्यों में भी तेजी देखी जा रही है.
इन कॉलेजों में मेडिकल कॉलेज खोलने की मंजूरी
इससे पहले सरकार ने जिन जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने की मंजूरी दी है, उसमें सुपौल जीएमसी- 100 सीटें, गोपालगंज जीएमसी- 150 सीटें, मुंगेर जीएमसी- 150 सीटें, समस्तीपुर (रामजानकी मेडिकल कॉलेज)- 100 सीटें, छपरा जीएमसी- 100 सीटें, सीतामढ़ी जीएमसी- 100 सीटें, सीवान जीएमसी- 100 सीटें, वैशाली (महुआ जीएमसी)- 100 सीटें, मधुबनी जीएमसी- 100 सीटें, जमुई जीएमसी- 100 सीटें, आरा जीएमसी- 100 सीटें, बक्सर जीएमसी- 100 सीटें और बेगूसराय जीएमसी- 100 सीटें शामिल हैं.
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