प्रतिनिधि, गायघाट कलयुग में केवल श्याम नाम संकीर्तन मात्र से ही उद्धार हो सकता है. भगवान की कृपा बगैर कोई भगवान की भागवत कथा नहीं सुन सकता. श्रीमद्भागवत में कहा गया है जो भगवान को प्रिय हो वही करो, हमेशा भगवान से मिलने का उद्देश्य बना लो, जो प्रभु का मार्ग हो उसे अपना लो. इस संसार में जन्म-मरण से मुक्ति भगवान की कथा ही दिला सकती है. आचार्य पवनदेव महाराज ने बेरूआ गांव में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा के तीसरे दिन कही. उन्होंने कहा कि जब राजा परीक्षित को पता चला कि सातवें दिन उनकी मौत हो जाएगी तो शुकदेव जी महाराज के सामने पहुंचे. शुकदेव जी महाराज जो सबसे बड़े वैरागी है चूड़ामणि हैं. उनसे राजा परीक्षित जी ने प्रश्न किया कि हे गुरुदेव जो व्यक्ति सातवें दिन मरने वाला हो उस व्यक्ति को क्या करना चाहिए. शुकदेव जी ने मुस्कुराते हुए परीक्षित से कहा की हे राजन ये प्रश्न केवल आपके कल्याण का ही नहीं अपितु संसार के कल्याण का प्रश्न है. राजन जिस व्यक्ति की मृत्यु सातवें दिन है उसको श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए तो उसका कल्याण निश्चित है. जो जीव सात दिन में सम्पूर्ण भागवत का श्रवण करेगा वो अवश्य ही मनोवांछित फल की प्राप्ति करता है. श्रीमद्भागवत कथा कोई साधारण ग्रन्थ नहीं है बल्कि सभी वेदों का सार है. प्रभु भागवत कथा के माध्यम से मानव का यह संकल्प याद दिलाते रहते हैं. भागवत सुनने वालों का भगवान हमेशा कल्याण करते हैं. भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है.सैकड़ों की संख्या में भक्तों ने महाराज जी के श्रीमुख से कथा का श्रवण किया.
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