वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
एइएस के हाइ रिस्क जोन में रहने वाले बच्चे हर साल इससे पीड़ित हो रहे हैं. इस साल आशा को एइएस पीड़ित बच्चों को अस्पताल पहुंचाने का निर्देश दिया गया है. आशा अपने पोषक इलाके में 10 साल तक के बच्चों पर खास नजर रखेंगी. उसको अगर बुखार या सुस्ती रहेगी तो तुरंत अस्पताल पहुंचाया जायेगा. इसके लिए आशा के साथ आंगनबाड़ी सेविका को भी विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है. जिला सामुदायिक उत्प्रेरक राजकिरण कुमार ने बताया कि जिले में 4234 आशा हैं. सभी को इसका प्रशिक्षण दिया जा चुका है. एइएस पीड़ित मरीज को लाने के लिए एंबुलेंस के साथ हर गांव पर निजी वाहन को चिह्नित किया गया है. सिविल सर्जन डॉ अजय कुमार ने बताया कि कोशिश है कि एइएस प्रभावित बच्चे ज्यादा से ज्यादा ठीक हो सके. उनकी मृत्यु दर कम रहे, इसके लिये पहल की जा रही है. एसकेएमसीएच शिशु विभागाध्यक्ष डॉ गोपाल शंकर साहनी कहते हैं कि शोध में बीमारी का मुख्य कारण गर्मी, नमी व कुपोषण सामने आया है. गर्मी 36 से 40 डिग्री व नमी 70 से 80 फ़ीसदी के बीच होने पर इसका कहर शुरू होता है. बीमारी के लक्षण तेज बुखार व चमकी आना है इसमें बच्चे बेहोश हो जाते हैं.इन बातों का रखे ध्यान
कुपोषण से बचाव के लिए बच्चों के खानपान पर ध्यान दें. चार से पांच बार भोजन करायें. बच्चों को सभी टीके अवश्य दिलाएं. खासकर जेई वैक्सीन भी दिलायें. रात में बच्चा भूखा नहीं रहने दी. धूप में बच्चों को ना जाने दें. खूब पानी पिलाएं, बच्चे को तेज बुखार होने पर तुरंत सरकारी अस्पताल में ले जाएं,किसी भी ओझा व झोला लेकर गांव में घूमने वाले चिकित्सक के चक्कर में ना पड़ें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है