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बिहार में बच्चों की रहस्यमय मौत में बड़ा खुलासा, AES का कारण है लीची

मुजफ्फरपुर : जिले में हर वर्ष गर्मी के मौसम में बच्चों पर कहर बरपाने वाली बीमारी एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम का कारण दुनिया के विशेषज्ञों ने लीची को माना है. विशेषज्ञों की यह रिपोर्ट 30 जनवरी को अमेरिका की प्रतिष्ठित हेल्थ जर्नल द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित हुई है. इसमें बीमारी का कारण लीची में […]

मुजफ्फरपुर : जिले में हर वर्ष गर्मी के मौसम में बच्चों पर कहर बरपाने वाली बीमारी एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम का कारण दुनिया के विशेषज्ञों ने लीची को माना है. विशेषज्ञों की यह रिपोर्ट 30 जनवरी को अमेरिका की प्रतिष्ठित हेल्थ जर्नल द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित हुई है. इसमें बीमारी का कारण लीची में पाया जाने वाला टॉक्सिन एमसीपीजी माना गया है. नेशनल सेंटर फाॅर डिजीज कंट्रोल व अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने संयुक्त रूप से 2014 में यहां आकर बीमार बच्चों की जांच की थी. गर्मी के मौसम में दोनों सेंटर के विशेषज्ञों ने करीब 15 दिन तक यहां रह कर बीमार बच्चों की विभिन्न प्रकार की जांच की थी, जिसमें बच्चों के ब्लड, यूरिन, सीएसएफ व ब्रेन की जांच अमेरिकी विशेषज्ञों की देखरेख में हुआ था.

हाइपोग्लेसेमिया के कारण बच्चों को बीमारी
विशेषज्ञों ने रिसर्च रिपोर्ट में यह दावा किया है कि बच्चों में होने वाली बीमारी का मुख्य कारण बच्चों में हाइपोग्लेसेमिया यानी उनमें चीनी का लेबल कम होने के कारण बीमारी होती है. इससे उन्हें चमकी व बुखार आता है. चीनी के कमी के कारण ही उनके ब्रेन के सेल मरने लगते हैं. इससे उनकी मौत हो जाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि अधपके लीची की गुठली में टॉक्सिन एमसीपीजी काफी मात्रा में होता है. यह एक तरह का जहर है. जब बच्चे बगीचा में जाकर या घर पर ही ऐसे लीची खाते हैं तो उनके अंदर टॉक्सिन चला जाता है. जिससे वे हाइपोग्लेसेमिया के शिकार होते हैं. यदि उनका इलाज तुरत नहीं किया जाये तो बच्चों को बचाना मुश्किल हो जाता है.
रिसर्च में यह दावा किया गया है कि लीची की गुठली की जांच में यह टॉक्सिन पाया गया है. शोध में कहा गया है कि बीमारी पर किये गये रिसर्च में बच्चों के भरती किये जाने वाले हॉस्पिटल में इलाज का तरीका, बच्चों की केस स्टडी, लेबोरेटरी टेस्ट व आंकड़ों का अध्ययन किया गया है.
रिपोर्ट में कई बिंदुओं पर फोकस नहीं
विशेषज्ञों ने रिसर्च में बीमारी का कारण लीची माना है, लेकिन एइएस से पीड़ित कई बच्चे ऐसे आये थे, जिनमें चीनी का स्तर सामान्य था या बढ़ा हुआ था. यदि टॉक्सिन से बच्चों को यह बीमारी हो रही है तो उन बच्चों में चीनी का स्तर कम क्यों नहीं हुआ, इस पर रिपोर्ट में फोकस नहीं किया गया है. इसके अलावा कई ऐसे क्षेत्रों के बच्चे थे, जहां लीची की खेती नहीं होती. बावजूद ऐसे बच्चे एइएस का शिकार हुए. विशेषज्ञों को यह जानकारी बच्चों के माता-पिता से बात कर मिली थी. इसे उन्होंने शोध के तहत लिखा भी था, हालांकि रिसर्च रिपोर्ट में इस पर चर्चा नहीं की गयी है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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