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बिहार दिखाने के नाम पर 2.67 करोड़ का गोलमाल
प्रेम कुमार मुजफ्फरपुर : बच्चों को बिहार के दर्शनीय स्थल दिखाने के नाम पर शिक्षा विभाग में 2.67 करोड़ रुपये का गोलमाल हुआ है. यह राशि मुख्यमंत्री बिहार दर्शन योजना मद की थी. स्कूलों की मदद से शिक्षा विभाग ने सरकार से मिले इस मद के पैसों का मनमाना खर्च कर ठौर ठिकाना पकड़ा दिया. […]
प्रेम कुमार
मुजफ्फरपुर : बच्चों को बिहार के दर्शनीय स्थल दिखाने के नाम पर शिक्षा विभाग में 2.67 करोड़ रुपये का गोलमाल हुआ है. यह राशि मुख्यमंत्री बिहार दर्शन योजना मद की थी. स्कूलों की मदद से शिक्षा विभाग ने सरकार से मिले इस मद के पैसों का मनमाना खर्च कर ठौर ठिकाना पकड़ा दिया. अब हिसाब देने से विद्यालयों ने हाथ खड़ा कर दिया.
साल भर विभाग ने रखे रुपये.
शिक्षा विभाग व स्कूलों के इस कारनामे का खुलासा महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट 2014-15 से हुआ है. महालेखाकार ने कहा है कि एक वर्ष से अधिक बीत जाने के बाद हिसाब नहीं देना सरकारी राशि का गबन है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्कूलों को 2013-14 में एक करोड़ 20 लाख रुपये राशि दी गई थी. इसे कोषागार से निकाल लिया गया. एक वर्ष शिक्षा विभाग अपने पास रखे रहा. इसके बाद 2014-15 में विद्यालयों को दे दिया. शिक्षा विभाग का यह काम बिहार कोषागार संहिता 2011 के नियम 176 व 177 के विपरीत था.
स्कूलों को दिये जाने थे दस हजार. रिपोर्ट के अनुसार, जिला कार्यक्रमपदाधिकारी लेखा व योजना को मुख्यमंत्री बिहार दर्शन योजना से राशि दी गयी. इसके बाद यहां के कागजातों का सैंपल जांच की गयी. 2012-13 में बिहार सरकार ने 14 दिसंबर 2012 को मुजफ्फरपुर के 1220 मध्य विद्यालयों के लिए एक करोड़ 22 लाख रुपये दिया गया. सभी विद्यालयों को दस हजार रुपये देने थे.
सरकार ने आवंटन आदेश में स्पष्ट कहा था कि मासिक व्यय विवरणी जनवरी 2013 के दूसरे सप्ताह तक टीवी नंबर के साथ अनिवार्य रू प से विभाग को भेज देनी थी, लेकिन डीपीओ, लेखा व योजना ने चार माह बाद 30 मार्च 2013 को इस योजना की राशि 1220 मध्य विद्यालयों को दिया.
111 माध्यमिक स्कूलों को मिली थी राशि. इसके पहले भी शिक्षा विभाग ने 20 जून 2012 को 111 माध्यमिक विद्यालयों के लिए 11 लाख 10 हजार रुपये आवंटित किया था, जिसके बाद डीपीओ लेखा व योजना ने 13 मार्च 2013 को 107 माध्यमिक विद्यालयों को 10.70 लाख रुपये दिया.
12 सौ स्कूलों को दी गयी 20 करोड़ की राशि. फिर 2013-14 में शिक्षा विभाग ने 24 जुलाई 2013 को 168 माध्यमिक विद्यालयों के लिए 16.80 लाख रुपये दिये. इसके बाद डीपीओ लेखा व योजना ने एक अक्तूबर 2013 को 107 माध्यमिक विद्यालयों को 10.70 लाख रुपये दिया.
इसके बाद आठ जुलाई 2014 को 38 माध्यमिक विद्यालयों को 3.80 लाख रुपये दिया गया. साथ ही, 12 सौ मध्य विद्यालयों के लिए 2013-14 में ही शिक्षा विभाग ने 13 फरवरी 2014 को करोड़ 20 लाख रुपये आवंटित किया था. इसे डीपीओ लेखा व योजना कार्यालय ने चार माह बाद नौ जून को 2014 को 12 सौ मध्य विद्यायलों को एक करोड़ 20 लाख रुपये दिया.
महालेखाकार ने शिक्षा विभाग के दावे को किया खारिज. ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि 2012-13 व 2013-14 में शैक्षणिक परिभ्रमण के लिए मध्य विद्यालयों व माध्यमिक विद्यालयों को 2.67 करोड़ रुपये दिये गये. विभाग ने इसका कोई लेखा जोखा नहीं दिया है.
यह राशि का गबन माना जायेगा. महालेखाकार को विभाग ने कहा है कि विद्यालयों से उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त किया जा रहा है. जल्द ही लेखा परीक्षा को भेज दिया जायेगा. इस जवाब को खारिज कर दिया गया है.
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