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ग्रीन टच के दफ्तर में छापा फर्जीवाड़े का भांडा फूटा

मुजफ्फरपुर : प्रभात खबर की खबर का असर हुआ है. ग्रीन टच कंपनी के बारे में खबर छपने के बाद प्रशासन मुस्तैद हुआ है. शनिवार को चंद्रलोक चौक ग्रीन टच के कार्यालय में छापेमारी हुई. इस दौरान इस दौरान वहां फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ. डीएम अनुपम कुमार के निर्देश पर दोपहर करीब एक बजे उप […]

मुजफ्फरपुर : प्रभात खबर की खबर का असर हुआ है. ग्रीन टच कंपनी के बारे में खबर छपने के बाद प्रशासन मुस्तैद हुआ है. शनिवार को चंद्रलोक चौक ग्रीन टच के कार्यालय में छापेमारी हुई. इस दौरान इस दौरान वहां फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ.

डीएम अनुपम कुमार के निर्देश पर दोपहर करीब एक बजे उप समाहर्ता बैंकिंग आदित्य कुमार झा व जिला सहकारिता पदाधिकारी वीरेंद्र ठाकुर ने संयुक्त रूप से छापेमारी को पहुंचे. कं पनी के पास मुजफ्फरपुर में कार्यालय खोलने से संबंधित कोई लाइसेंस नहीं है. इसके बावजूद, कंपनी जिले में दो जगह शाखा खोल अब तक करोड़ों रुपये जमा करा चुकी है.

जमा किसी और के नाम पर

कंपनी के एजेंट लोगों से ग्रीन टच प्रोजेक्ट के नाम डिबेंचर बेच रहे है, लेकिन एजेंट को स्टीम फाइनेंसियल कंस्लटेंट्स लिमिटेड के नाम से कमीशन का भुगतान हो रहा है. इतना ही नहीं कंपनी के रजिस्ट्रेशन के मुताबिक अधिक तम 20 फीसदी तक का ही कमीशन एजेंट को देना है, लेकिन एजेंट को 38 फीसदी तक का कमीशन देने का मामला सामने आया है. कंपनी के इस फर्जीवाड़ा को देख जांच टीम भी अंचभित रह गयी.

खुल गयी कलई

पूछताछ के दौरान कंपनी के शाखा प्रबंध ने कहा, हम लोग डिबेंचर का काम करते हैं. लोगों से पैसा लेकर उनके नाम पर निवेश करते हैं. केवल चेक के जरिये भुगतान लिया जाता है. इस पर जांच टीम के सदस्यों ने मौके पर मौजूद कुछ ग्राहकों से बात की तो उन्होंने बताया, हम लोगों ने नगद पैसा कंपनी में जमा किया है.

पूछा, कितने हैं एजेंट

जांच अधिकारियों ने कंपनी के प्रबंधक से यह पूछा, आपके यहां कितने एजेंट काम करते हैं. इस पर उन्होंने पहले कहा, पांच सौ. इस पर जांच अधिकारियों ने एजेंटों की फाइल मांगी, तो प्रबंधक फाइल नहीं दिखा सके.

इस पर कहने लगे, एक हजार एजेंट हैं. इसके बाद 12 सौ एजेंट होने की बात करने लगे. बार-बार प्रबंधक के बयान बदलने से जांच अधिकारियों का संदेह और गहरा गया.

नहीं बताया लेखा-जोखा

जांच टीम की पूछताछ के दौरान कई ऐसे राज भी खुले है, इससे की जिले के हजारों लोगों को ठगने का प्रयास किया गया है. हालांकि, टीम में शामिल अधिकारी अभी कुछ बताने से साफ इनकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि प्रारंभिक जांच में बड़े स्तर पर अनियमितता मिली है, लेकिन कंपनी की ओर से कैश बुक व सेबी से डिबेंचर बेचने की अनुमति का कागजात उपलब्ध नहीं कराया गया है. इसके लिए दो दिनों का समय दिया गया है.

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