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जमीन हड़पने के लिए हत्या मामले में तीन को उम्रकैद

मुजफ्फरपुर : जमीन हड़पने के मामले में हुई कमोद हत्याकांड की सुनवाई कर रहे एडीजे-5 संजीव कुमार पांडेय ने दोषी पाते हुए कांटी थाना के छपरा निवासी रत्नेश सिंह,लसगरीपुर निवासी वीरेन्द्र कुमार उर्फ राज व कांटी थाना क्षेत्र के टरमा निवासी मोहम्मद हासिम को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. तीनों को बीस-बीस हजार अर्थदंड […]

मुजफ्फरपुर : जमीन हड़पने के मामले में हुई कमोद हत्याकांड की सुनवाई कर रहे एडीजे-5 संजीव कुमार पांडेय ने दोषी पाते हुए कांटी थाना के छपरा निवासी रत्नेश सिंह,लसगरीपुर निवासी वीरेन्द्र कुमार उर्फ राज व कांटी थाना क्षेत्र के टरमा निवासी मोहम्मद हासिम को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है.

तीनों को बीस-बीस हजार अर्थदंड भी दिया गया है. कांटी पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध 22जुलाई 2011 को न्यायालय में चार्ज शीट दाखिल किया था.अभियोजन की ओर से एपीपी सुनील कुमार पांडेय ने न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखा था. अभियोजन की ओर से मामले में कुल 10 गवाहों की गवाही हुई थी.
ये है मामला : 3 मार्च 2011 को ननिहाल जमीन हड़पने को लेकर कमोद सिंह की हत्या कर दी गयी थी. मृतक की पत्नी मीरा देवी के बयान पर कांटी पुलिस ने छपरा निवासी रत्नेश सिंह, लसगरीपुर निवासी वीरेंद्र कुमार उर्फ राजा एवं टरमा निवासी मोहम्मद हासिम के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी थी. बताया था कि मेरे पति कमोद सिंह के नाना को कोई लड़का नहीं था.
उनको आठ बीघा जमीन थी. आरोपितों ने मिल जालसाजी कर पावर ऑफ अटर्नी अपने नाम करा लिया. इसकी जानकारी होने पर 3 मार्च 2011 को मेरे पति ने जाकर पावर ऑफ एटर्नी को कैंसिल करा दिया. शाम को घर लड़खड़ाते हुए पहुंचे तो बताया कि रत्नेश सिंह, वीरेंद्र कुमार उर्फ राजा एवं मोहम्मद हासिम लसगरीपुर गाछी में जबरन ले जाकर जहर खिला दिया है.
इलाज के दौरान दूसरे दिन उनकी पति की मौत हो गयी. रात होने के कारण उस दिन मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट तैयार नहीं हो सकी. शव को सुरक्षित एसकेएमसीएच के पोस्टमॉर्टम रूम में रख दिया गया. 5 मार्च 2011 को शव बाहर निकाला गया तो देखा कि शव के साथ छेड़छाड़ किया गया था. इसके आरोपित के भाई की संलिप्तता सामने आयी थी. वह एसकेएमसीएच में उस समय तैनात थे.
जहर खिलाकर की थी कमोद सिंह की हत्या
शव के साथ छेड़छाड़ का आरोपित के भाई पर लगा आरोप
साक्ष्य के अभाव में बरी
मुजफ्फरपुर. महिला थाने में दर्ज मामले में एडीजे सात संजय कुमार ने सुजीत कुमार को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. पीड़िता ने बयान दिया था कि आरोपित ने मेरे साथ कोई जोर जबर्दस्ती नहीं की थी. मेडिकल रिपोर्ट में भी घटना की पुष्टि नहीं हो सकी. अधिवक्ता रत्नेश कुमार भारद्वाज और एपीपी सुनीता कुमारी के बहस को सुन कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में सुजीत को बरी कर दिया.

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