कांटी : दिल्ली में बड़ी कंपनी में नौकरी कर रहे संतोष एक हफ्ते पहले आये हैं. वोट के दिन ही उनकी शादी तय है. शाम में उनकी बरात निकलेगी. सुबह से शादी की रस्म में उलझे थे. बार-बार जिद्द कर रहे थे पहले वोट देकर आते हैं. परिवार वाले पहले रस्म निभाने की बात कर रहे थे. संतों ने जिद्द पकड़ी कहा- पहले वोट फिर शादी.
आखिरकार उनकी जिद्द के आगे परिजन नतमस्तक हो गये. फिर सबने कहा, चलो हमलोग भी चलते हैं. वोट गिराने के बाद ही कुछ होगा. पिता शंभु ठाकुर कहते हैं-बेटा पढ़ा-लिखा है. उसके बात सही लगी, तो हमलोग भी निकल पड़े. सिर पर शादी का पाग पहने ही सब लोग मतदान केंद्र पहुंचे, फिर वोट डाला.