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इंटर्न व पीजी छात्रों ने बंद कराया ओपीडी, पांच सौ मरीज लौटे

मुजफ्फरपुर : विभिन्न मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टरों ने सोमवार को एसकेएमसीएच का ओपीडी बंद करा दिया. इससे दिनभर मरीजों का इलाज नहीं हो सका. बाहर से आनेवाले मरीज परेशान रहे. ओपीडी बंद होने से 500 से अधिक मरीज बिना इलाज लौट गये. प्रत्येक सोमवार को यहां ओपीडी में तीन हजार के करीब मरीज इलाज […]

मुजफ्फरपुर : विभिन्न मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टरों ने सोमवार को एसकेएमसीएच का ओपीडी बंद करा दिया. इससे दिनभर मरीजों का इलाज नहीं हो सका. बाहर से आनेवाले मरीज परेशान रहे. ओपीडी बंद होने से 500 से अधिक मरीज बिना इलाज लौट गये. प्रत्येक सोमवार को यहां ओपीडी में तीन हजार के करीब मरीज इलाज कराते हैं, लेकिन बंद होने के कारण 792 मरीज का ही रजिस्ट्रेशन किया गया. वहीं 393 मरीज को इमरजेंसी में दिखाया गया. इसमें से 60 गंभीर मरीज को भर्ती किया गया.

जूनियर डॉक्टरों ने बताया कि एम्स में एमबीबीएस करने वाले छात्रों को वहां पीजी नामांकन के लिए 50 फीसदी सीट निर्धारित है. बची हुई सीटों पर भी वहां के छात्र कंपीटीशन से नामांकन ले सकते हैं. इससे सीटों की संख्या कम हो गयी है और कंपीटीशन बढ़ गया है. बिहार के मेडिकल कॉलेजों से निकले छात्रों को एम्स पीजी में कम भागीदारी मिलती है.
वहीं एम्स के इंटर्न छात्रों को अधिक भत्ता मिलता है. अन्य मेडिकल छात्रों को 14 हजार रुपये ही भत्ता के रूप में दिया जाता है, जबकि पीजी छात्रों को 40 हजार रुपये भत्ता मिलता है.
डॉक्टरों का कहना था कि बिहार के एम्स को छोड़ कर अन्य मेडिकल अस्पताल के एसआर डॉक्टरों के लिए न्यूनतम उम्रसीमा 45 वर्ष से कम की जाये.

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