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बच्चियों को घर भेजने में भी होती थी कोताही

मुजफ्फरपुर : यौन शोषण को लेकर विवादों में आये मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में भ्रष्टाचार भी कम न था. यहां रह रही बच्चियों को घरवालों से मिलवाने के लिए कर्मचारी घूस लेते थे. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) की रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है. रिपोर्ट में कहा है कि हर मुलाकात में […]

मुजफ्फरपुर : यौन शोषण को लेकर विवादों में आये मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में भ्रष्टाचार भी कम न था. यहां रह रही बच्चियों को घरवालों से मिलवाने के लिए कर्मचारी घूस लेते थे. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) की रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है. रिपोर्ट में कहा है कि हर मुलाकात में परिजनों से पैसे लिये जाते थे. बालिका गृह के अलावा दूसरे शेल्टर होम में भी यही हाल था. टिस ने यह भी कहा है कि विभाग ने इस बारे में कोई कार्रवाई नहीं की. टिस की रिपोर्ट में कहा गया कि बेसहारा बच्चों से कर्मचारी घूस लेते थे. बिना पैसे के कोर्ट में भी बच्चियों या बच्चों को मिलने नहीं दिया जाता था. रिपोर्ट के अनुसार बच्चों को एनजीओ से घर भेजने में भी कोताही बरती जाती थी. अवधि पूरी हो जाने पर भी उन्हें बाहर नहीं भेजा जाता था.

जुविनाइल जस्टिस एक्ट का उल्लंघन : टिस की रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि मुजफ्फरपुर सहित बिहार के सभी बालिका व बाल गृहों में जुविनाइल जस्टिस एक्ट का उल्लंघन हो रहा है. बाल गृहों में बच्चों को कानूनी सहायता नहीं दी जाती है, जिससे वह लंबे समय तक वह गृहों से मुक्त नहीं हो पाते हैं. बालिका गृह में किसी स्थानीय लीगल एजेंसी से टाईअप भी नहीं किया गया है. बाल और बालिका गृहों में बाल अपराध से शिकार बच्चों को अलग जगह भी नहीं दी जा रही थी. टिस ने इस चीज पर भी चिंता जताई है. रिपोर्ट में कहा गया है जुविनाइल जस्टिस एक्ट के सेक्शन 49 में ऐसे बच्चों को अलग से रखने का प्रावधान है. इसे प्लेस आफ सेफ्टी कहा जाता है. लेकिन बाल या बालिका गृहों में यह व्यवस्था नहीं थी.
सीबीआई दिन भर खंगालती रही दस्तावेज पूछताछ के लिए अधिकारियों की सूची बनायी
समाज कल्याण विभाग के कर्मचारियों से पूछताछ
ललित भवन के पीछे स्थित समाज कल्याण विभाग के कार्यालय शुक्रवार को सीबीआई के अधिकारी पहुंचे. अधिकारियों ने वहां कई कागजात खंगाले और वहां के कर्मियों से पूछताछ भी की. इसके बाद लौट गये. सीबीआई की टीम लगातार तीसरे दिन समाज कल्याण विभाग पहुंची थी. निदेशक राजकुमार द्वारा उपलब्ध कराये गये कागजात के बाद जांच टीम कुछ सवालों के जवाब ढूढ़ने वहां पहुंची थी. हालांकि इसको लेकर सीबीआई और समाज कल्याण विभाग के अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं.
सीबीआई ब्रजेश ठाकुर की स्वयंसेवी संस्था सेवा संकल्प एवं विकास समिति को बालिका गृह के संचालन का ठेका दिए जाने, इसके एवज में किए गए भुगतान, विभाग द्वारा बालिका गृह की देखरेख की व्यवस्था समेत अन्य पहलुओं पर छानबीन कर रही है. सीबीआई जल्द ही पीड़ित बच्चियों का बयान दर्ज कर सकती है. माना जा रहा है केस की आईओ के साथ ही सीबीआई की महिला अफसरों द्वारा लड़कियों का बयान दर्ज किया जायेगा. इसके बाद जांच में और तेजी आयेगी.
रोगी कल्याण समिति से हटाया गया ब्रजेश
बालिका गृह कांड में घिरे कई एनजीओ के संचालक ब्रजेश ठाकुर को शुक्रवार को रोगी कल्याण समिति से हटा दिया गया हैं. वह पांच साल से इस समिति का सदस्य था. सिविल सर्जन डॉ शिवचंद्र भगत ने कहा कि जिलाधिकारी मो सोहैल के आदेश पर यह कार्रवाई की गयी है. समिति में दस सदस्य थे. ब्रजेश ठाकुर सेवा संकल्प विकास समिति एनजीओ के नाम पर इसमें सदस्य बने हुए थे. आरोप है कि रोगी कल्याण समिति में बतौर सदस्य उसकी अस्पताल प्रशासन पर पूरी पकड़ थी.

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