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काम के दबाव में मैनेजर ने बैंक में खाया जहर, अस्पताल में मौत

मुजफ्फरपुर : उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक मोतीपुर के शाखा प्रबंधक अशोक कुमार गुप्ता ने शुक्रवार को ड्यूटी केे दौरान ही बैंक में जहर खा लिया. उन्हें इलाज के लिए ब्रह्मपुरा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनकी हालत चिंताजनक होने पर पटना रेफर कर दिया गया. देर रात पारस अस्पताल में उन्होंने दम […]

मुजफ्फरपुर : उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक मोतीपुर के शाखा प्रबंधक अशोक कुमार गुप्ता ने शुक्रवार को ड्यूटी केे दौरान ही बैंक में जहर खा लिया. उन्हें इलाज के लिए ब्रह्मपुरा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनकी हालत चिंताजनक होने पर पटना रेफर कर दिया गया. देर रात पारस अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया. वह पूर्वी चंपारण जिले के मेहसी थाने के कसबा टोला के रहने वाले थे. ढाई माह से मोतीपुर शाखा में तैनात थे.
ब्रह्मपुरा थानाध्यक्ष अवनीश कुमार ने बताया कि अशोक कुमार गुप्ता ने मृत्यु से पूर्व दिये गये बयान में कहा है कि बैंक में काम के अत्यधिक दबाव की वजह से उन्होंने ऐसा कदम उठाया है. हालांकि इस मामले से उन्होंने किसी को दोषी नहीं ठहराया है. यह बयान उन्होंने थाने के जमादार हिमांशु शेखर झा के समक्ष दिया है. इधर, गुप्ता के पुत्र आकाश ने कहा कि उनके पिता पर काम का इतना दबाव था कि वह किसी अधिकारी का फोन उठाने से भी घबराते थे. आकाश ने बैंक प्रबंधन पर भी आरोप लगाये.
लिपिक बना देने का दिया था आवेदन
अशोक कुमार गुप्ता को हाल में लिपिक से अधिकारी में प्रमोशन मिला था. वह स्केल वन के ऑफिसर थे, लेकिन उन्हें स्केल टू की शाखा में शाखा प्रबंधक बनाया गया. बैंक ऑफ इंडिया इंप्लाइज यूनियन का कहना है कि बड़ी शाखा का भार नहीं संभाल पाने के कारण गुप्ता ने प्रबंधन से कहा कि उन्हें स्केल वन के शाखा में पदस्थापित किया जाये. ऐसा नहीं होने की स्थिति में पुन: लिपिक संवर्ग में रखा जाये. इस संबंध में उन्होंने आवेदन भी दिया. लेकिन प्रबंधन ने इस पर कोई निर्णय नहीं किया.
प्रबंधन की प्रताड़ना से तंग आकर की आत्महत्या : संघ
मुजफ्फरपुर : यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस, मुजफ्फरपुर की ओर से जारी बयान में कहा गया कि शाखा प्रबंधक अशोक कुमार गुप्ता ने टारगेट पूरा करने के लिए प्रबंधन के लगातार दबाव के कारण ड्यूटी के दौरान जहर खा लिया. बयान में कहा गया कि गुप्ता को प्रबंधन द्वारा शाखा स्तर-दो की बड़ी शाखा में प्रवीक्षा की अवधि में पदस्थापित कर दिया गया.
बड़ी शाखा का भार बरदाश्त नहीं करने के कारण उन्होंने स्केल वन शाखा में पदस्थापित करने का आग्रह किया. ऐसा नहीं करने पर पुन: लिपिक वर्ग में ही अवनत करने का अनुरोध किया. उन्हें कोई राहत नहीं मिली. इसलिए उन्होंने आत्महत्या कर ली. शनिवार को बैंक ऑफ इंडिया प्रबंधन की प्रताड़नाइंप्लाइज यूनियन के मोतीझील कार्यालय में हुई बैठक में प्रतिनिधियों ने उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की.
साथ ही कहा कि उनके शेष सेवा का एकमुश्त भुगतान उनके परिजन को किया जाये तथा उनके एक आश्रित को अनुकंपा के तहत नौकरी मिले. इसको लेकर 31 जुलाई की शाम यूएफबीयू की ओर से कैंडल मार्च निकालने का निर्णय हुआ. बैठक की अध्यक्षता सच्चिदानंद सिंह ने की. वक्ताओं में यूएफबीयू के संयोजक उत्तम कुमार, बीबीबीए के महासचिव चंदन कुमार, एआइबीओए के डीएन त्रिवेदी, ग्रामीण बैंक यूनियन के प्रदीप कुमार मिश्रा, प्रशांत कुमार, शिव शंकर प्रसाद यादव, विनोद शरण, राजीव कुमार, अभिषेक कुमार, कृष्णकांत झा, केशव कुमार, रणधीर नारायण, अजय कुमार, विजय कुमार कंठ आदि शामिल थे.
इधर, उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस के महासचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि उनकी मौत का कारण बैंक के काम का दबाव नहीं है. वह अपने किसी निजी कारण से पिछले कई सालों से मानसिक रूप से परेशान थे, जिसको लेकर उन्होंने यह कदम उठाया. उनकी मौत से हम सभी बैंकर को आहत है.
समाज कल्याण के अफसर भी जांच के घेरे में, होगी पूछताछ
मुजफ्फरपुर : बालिका गृह मामले में समाज कल्याण विभाग के वर्तमान निदेशक राजकुमार व पूर्व निदेशक सुनील कुमार भी पुलिस की जांच के घेरे में आ गये हैं. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) की रिपोर्ट आने के बाद इन दोनों अधिकारियों को प्राथमिकी दर्ज कराये जाने की जानकारी हो गयी थी.
लेकिन, इसके बाद भी इन दोनों ने पूरे मामले की आंतरिक जांच कराना उचित नहीं समझा. पुलिस ने केस डायरी में इस तथ्य का उल्लेख किया है. नगर डीएसपी मुकुल रंजन ने कांड के पर्यवेक्षण रिपोर्ट में इन दोनों से पूछताछ का निर्देश आइओ को दिया है.
जेल में बंद निलंबित बाल संरक्षण अधिकारी रवि रौशन ने पूछताछ के दौरान पुलिस को कई जानकारी दी थी, जिसकाजिक्र केस डायरी में भी है. इसमें कहा गया है कि 26 मर्इ को पटना में समाज कल्याण विभाग की राज्यस्तरीय मीटिंग हुई थी, जिसमें निदेशक ने टिस की रिपोर्ट का विमोचन किया था.
इसी दिन सहायक निदेशक दिवेश कुमार शर्मा अकेले ही बालिका गृह गये थे. लेकिन इसका कोई जांच प्रतिवेदन विभाग को नहीं सौंपा. डीएसपी ने उनसे भी पूछताछ करने को कहा है. केस डायरी में कहा गया है- ‘26 मई को टिस की ऑडिट रिपोर्ट का विमोचन हुआ, लेकिन 31 मई को कांड दर्ज कराया गया. राज्यस्तरीय मीटिंग होने के बाद भी बालिका गृह मुजफ्फरपुर में हो रहे काले कारनामों पर तुरंत कोई कार्य नहीं किया जाना आश्चर्यजनक है.
ब्रजेश की करीबी मधु की तलाश में छापे
जांच रिपोर्ट में ब्रजेश ठाकुर का सबसे करीबी मधु को बताया गया है. वह वामा शक्ति वाहिनी से जुड़ी है. इसके साथ ही लेखापाल सह भंडार पाल केपी गुप्ता, नर्स मुन्नी देवी, रसोईया मंजू देवी सहित छह के संलिप्तता की बिंदु पर जांच करने को कहा गया है. इधर, देर रात मधु की तलाश में पुलिस ने छापेमारी भी की.
कागज घोटाले में ब्रजेश पर पूर्व से सीबीआई जांच
पर्यवेक्षण रिपाेर्ट में ब्रजेश ठाकुर पर पूर्व से दिल्ली के तीसहजारी कोर्ट में मुकदमा चलने की बात बतायी गयी है. कागज घाेटाले की जांच सीबीआई कर रही है. केस डायरी में ब्रजेश को उस केस में नामजद बताया गया है.
पड़ोसी को सीसीटीवी लगाने से कर दिया था मना
ब्रजेश ठाकुर के पड़ोसियों ने पुलिस को बयान दिया है कि वह अक्सर बच्चियों के चिल्लाने की आवाज सुना करता था. ब्रजेश के दबंग होने के कारण उसने पुलिस को आगे कुछ भी बताने से इनकार कर दिया. एक पड़ोसी ने बताया था कि ब्रजेश के भय से कोई मोहल्ले में नहीं बाेलता था. उसने एक बार अपनी सुरक्षा के लिए सीसीटीवी लगाना चाहा था, लेकिन इस बात की जानकारी ब्रजेश को हो गयी. उसने मना कर दिया कि काेई सीसीटीवी कैमरा नहीं लगायेगा. उसने बालिका गृह में नये नये चेहरे के लोगों को आते जाते भी देखा था.

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