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पांच साल में ‍‍‍‍Rs 60 लाख मिले, न पढ़ाई हुई न वोकेशनल ट्रेनिंग

मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर में बालिका गृह चलाने वाली संस्था सेवा संकल्प व विकास समिति को पिछले पांच वर्षों में 60 लाख रुपये समाज कल्याण विभाग की ओर से मिले हैं. यह राशि बालिका गृह में रहनेवाली लड़कियों के भोजन, उनके वोकेशनल कोर्स और पढ़ाई के मद में दिये गये. हालांकि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज […]

मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर में बालिका गृह चलाने वाली संस्था सेवा संकल्प व विकास समिति को पिछले पांच वर्षों में 60 लाख रुपये समाज कल्याण विभाग की ओर से मिले हैं. यह राशि बालिका गृह में रहनेवाली लड़कियों के भोजन, उनके वोकेशनल कोर्स और पढ़ाई के मद में दिये गये. हालांकि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) की सोशल ऑडिट रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि यहां रह रही लड़कियों के लिए वोकेशनल कोर्स और पढ़ाई की कोई व्यवस्था नहीं की गयी. भोजन की गुणवत्ता ठीक नहीं थी.\
सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक, संस्था को हर साल 12 लाख रुपये भोजन, वोकेशनल कोर्स चलाने और शिक्षा के मद में दिये जाते थे. समाज कल्याण विभाग से एक लाख रुपये का फंड हर महीने जाता था. टिस की ऑडिट रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया कि बालिका गृह में किसी भी प्रकार का वोकेशनल कोर्स नहीं चलता. शिक्षक नहीं थे और पढ़ाई भी नहीं होती थी. किताबें भी नहीं थीं. खाना भी ढंग का नहीं मिलता था.
बालिका गृहों में वोकेशनल कोर्स और पढ़ाई के लिए सरकार से फंड दिये जाने का प्रावधान है. बच्चियों ने भी महिला आयोग के सामाने बयान दिया है कि वहां पढ़ाई, कोर्स और खाने की व्यवस्था नहीं थी. एनजीओ ने हर महीने बच्चियों की संख्या 50 बताकर पैसे उठाये. जबकि जब बच्चियां खाली करायी गयी तो वहां 44 ही थीं.
प्रति बालिका दो हजार रुपये
बाल संरक्षण के सहायक निदेशक दिवेश शर्मा ने बताया कि एनजीओ सेवा संकल्प को हर महीने एक लाख रुपये दिये जाते थे. यह राशि 50 बच्चियों के हिसाब से जोड़ कर दिये जाते थे. एक बच्ची पर खर्च के लिए सरकार ने 2000 रुपये तय किया है. विभागीय नियम के अनुसार 2000 में 200 रुपये एनजीओ को अपनी तरफ खर्च करने हैं, लेकिन यह दो सौ रुपये भी हिसाब के समय सरकार के तरफ से ही जोड़े जायेंगे.

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