मुजफ्फरपुर : भीषण गर्मी के कारण पारा 42 डिग्री के पार पहुंच गया है. इससे लोग चिड़चिड़ेपन के शिकार हो रहे हैं. सदर अस्पताल की ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ गयी है. ओपीडी में रोज 20 से 35 मरीज आ रहे हैं. इनमें मेनिया के शिकार मरीजों की संख्या अधिक है. दिमाग को कंफर्ट जोन में रखने के लिए तापमान 18-30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. लेकिन इन दिनों सामान्य तापमान इससे काफी अधिक है. अधिक तापमान होने पर न्यूरोट्रांसमीटर्स में गड़बड़ी शुरू हो जाती है और व्यक्ति का मूड बदलने लगता है. ब्रेन के कंफर्ट जोन के हिसाब से इन दिनों तापमान 15 डिग्री अधिक है. इसी वजह से मानसिक रोगियों की संख्या दोगुनी हो गयी है.
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भीषण गर्मी बिगाड़ रही लोगों का मिजाज, हो रहे चिड़चिड़े
मुजफ्फरपुर : भीषण गर्मी के कारण पारा 42 डिग्री के पार पहुंच गया है. इससे लोग चिड़चिड़ेपन के शिकार हो रहे हैं. सदर अस्पताल की ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ गयी है. ओपीडी में रोज 20 से 35 मरीज आ रहे हैं. इनमें मेनिया के शिकार मरीजों की संख्या अधिक है. दिमाग को […]
सदर अस्पताल के मानसिक रोग विभागाध्यक्ष डॉ एके झा बताते हैं कि अधिक व कम तापमान, दोनों ही अवस्था में दिमाग को आसानी से काम करने में दिक्कत होती है. तापमान में उतार-चढ़ाव मूड के लिए ठीक नहीं. ऐसे में व्यक्ति छोटी-छोटी बात पर गुस्सा करने लगता है. उसे चिड़चिड़ाहट होती है. व्यक्ति जल्दी आवेश में आ जाता है. खासतौर पर लोगों को मेनिया अपनी गिरफ्त में लेता है. डॉक्टर के अनुसार जिन मरीजों में पहले से मानसिक बीमारी है, उन पर गर्मी ज्यादा असर करती है.
अधिक तापमान होने पर न्यूरोट्रांसमीटर्स में गड़बड़ी शुरू हो जाती
ब्रेन के कंफर्ट जोन के हिसाब से तापमान 15 डिग्री सेल्सियस ज्यादा
बात-बात पर जल्दी आवेश में आ जाते हैं पीड़ित
मेनिया अपनी गिरफ्त में ले ले ता है.
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