22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सभी धाराओं को एक साथ जोड़कर बना था संविधान: डॉ पूर्वे

उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ीं, बदल गया स्वरूप आंबेडकर को आज प्रतिमाओं में जकड़ने की कोशिश मुजफ्फरपुर : जिस समय देश आजाद हुआ,उस समय कई विचारधारा काम कर रही थीं. डाॅ आंबेडकर सभी विचारधाराओं को एक साथ लेकर आगे बढ़े और देश का संविधान बनाया. उक्त बातें पूर्व मंत्री सह विधान पार्षद डॉ रामचंद्र पूर्वे ने […]

उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ीं, बदल गया स्वरूप

आंबेडकर को आज प्रतिमाओं में जकड़ने की कोशिश
मुजफ्फरपुर : जिस समय देश आजाद हुआ,उस समय कई विचारधारा काम कर रही थीं. डाॅ आंबेडकर सभी विचारधाराओं को एक साथ लेकर आगे बढ़े और देश का संविधान बनाया. उक्त बातें पूर्व मंत्री
सह विधान पार्षद डॉ रामचंद्र पूर्वे ने कही.
वे शुक्रवार को बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की ओर से सेंट्रल लाइब्रेरी स्थित सीनेट हॉल में आंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे. डॉ पूर्वे ने कहा कि आंबेडकर ने दबे-कुचले लोगों में जान फूंकने का काम किया. समाज का डॉग्नोसिस किया. पाॅलिटिकल डेमोक्रेसी पर उन्होंने कहा कि जिसे वोट मिलेगा, वहीं राजा होगा. सभी को साथ लेकर चलने वाला संविधान है. आरक्षण के माध्यम से दलितों को आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया है. इसका विरोध तब भी हुआ था. आज भी कुछ लोग कह रहे हैं कि संविधान को बदल देंगे. आरक्षण की व्यवस्था खत्म कर देंगे. सवाल उठाया कि कुछ लोग भारतीय मूल्यों के अनुसार संविधान बनाने की बात करते हैं, लेकिन यह नहीं बताते कि भारतीय मूल्य है क्या.
कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों ने डॉ आंबेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पित करने के बाद की. विवि के कुलसचिव डॉ अजय कुमार श्रीवास्तव ने स्वागत भाषण के साथ विषय प्रवेश कराया. प्रोवीसी डॉ आरके मंडल ने कहा कि देश के विकास के लिये आरक्षण जरूरी है. अध्यक्षता विवि के कुलपति डॉ अमरेंद्र नारायण यादव ने की. संचालन पंकज कर्ण ने किया. मौके पर प्रॉक्टर डॉ विवेकानंद शुक्ल, डॉ रंजना पूर्वे, उप कुलसचिव उमाशंकर दास, विजय कुमार जायसवाल, सिंडिकेट सदस्य हरेंद्र कुमार, डॉ रमेश प्रसाद गुप्ता, डॉ सतीश कुमार, डॉ ललित किशोर, डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह, डॉ राम इकबाल राम, डॉ रेवती रमण, राम उचित पासवान आदि थे.
घटना नहीं, विचारधारा है उत्पीड़न: चमड़िया
मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़िया ने कहा कि उत्पीड़न कोई घटना नहीं, बल्कि विचारधारा है. उत्पीड़न को लेकर जो सवाल डॉ आंबेडकर ने उठाये थे, हमारे समाज में वे आज भी कायम हैं. उत्पीड़न की घटनाएं आज पहले से बढ़ी हैं. दलित उत्पीड़न, आदिवासी उत्पीड़न या महिला उत्पीड़न. हां, उसका तरीका बदल गया है. पहले गुरु ने एकलव्य का अंगूठा मांगा था, लेकिन आज ऐसा माहौल बना दिया गया कि रोहित वेमुल्ला को जान देनी पड़ी. उन्होंने कहा कि आज आंबेडकर को प्रतिमाओं में जकड़ा जा रहा है. यह कठिन समय है, क्योंकि संस्थाएं खत्म हो रही हैं. आज न्यायालय नहीं, न्यायाधीश फैसले दे रहे हैं.
आंबेडकर सामाजिक बदलाव के लिये अधिक से अधिक संस्थाओं के पक्षधर थे. कहा कि विकास की बातें होती हैं, लेकिन विकास के काम नहीं हुए. समाज की जो जरूरत है, उसे पूरा नहीं किया जाता. सामाजिक व्यवस्था को कई वर्गों में बांटकर एक विचारधारा विकसित कर दी गयी है. कहा कि आंबेडकर ने 1928 में अंग्रेजों से मेटरनिटी लाभ की मांग की थी, लेकिन देश आजाद होने के बाद हमारी सरकार भी पूरा नहीं कर सकी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें