मुजफ्फरपुर : कटरा थाना के भोंरहां गांव निवासी कंतलाल महतो उर्फ संत जी की पुलिस पिटाई से मौत की खबर सुनते ही आधे दर्जन गांवों के लोग आक्रोशित होकर सड़क पर उतर गये. घटना के बारह घंटे बाद रविवार की दोपहर तक दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की सूचना नहीं मिलने पर उनका आक्रोश बढ़ता ही […]
मुजफ्फरपुर : कटरा थाना के भोंरहां गांव निवासी कंतलाल महतो उर्फ संत जी की पुलिस पिटाई से मौत की खबर सुनते ही आधे दर्जन गांवों के लोग आक्रोशित होकर सड़क पर उतर गये. घटना के बारह घंटे बाद रविवार की दोपहर तक दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की सूचना नहीं मिलने पर उनका आक्रोश बढ़ता ही गया. बगैर कार्रवाई के ही घटनास्थल पर पहुंचने वाले पूर्वी डीएसपी गौरव पांडे को लोगों का आक्रोश भी झेलना पड़ा. लोग पुलिस की इस कार्रवाई से इतना आंदोलित हो गये थे कि उन्हें घटनास्थल पर देखते ही पथराव शुरू कर दिया.
पुलिस को अपनी जान बचाने के लिए लाठीचार्ज करनी पड़ी. हालात यह था कि लाठी और आंसू गैस की धमकी का भी उन पर कोई असर नहीं हुआ.
शव उठाने के लिए मशक्कत कर रही पुलिस और वहां जुटे ग्रामीणों के बीच दिन भर खदेड़ा-खदेड़ी का दौर चलता रहा. पूरे दिन की मशक्कत के बाद देर शाम लोगों के कठोर इरादे के आगे पुलिस हार गयी. शव को कब्जे में लिये वगैर पुलिस को पीछे हटना पड़ा. पूरी रात इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह के साथ ही पुलिस और कई प्रशासनिक पदाधिकारी उक्त गांव में ही कैंप किये. कई गांवों के लोग भी जमे रहे.
ग्रामीणों ने दी थी संत की उपाधि: भोंरहा गांव के कंतलाल महतो को मृदुल और मिलनसार स्वभाव से स्थानीय लोगों ने उन्हें संत जी की उपाधि दी थी. चार पांच गांवों के लोग उन्हें संत जी के नाम से जानते थे. शनिवार की रात करीब 12.30 बजे कटरा थानेदार रतन कुमार यादव, जमादार नंद पासवान के साथ अन्य पुलिसकर्मी उनके यहां छापेमारी कर दो दिन पहले शादी के बंधन में बंधे उनके पुत्र गुड्डु महतो और नव वधू को गिरफ्तार करने पहुंचे. संत जी ने विरोध किया तो उनके साथ मारपीट की. ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस की पिटायी से ही उनकी मौत हुई. संत जी का शव देख उनकी पत्नी श्रद्धा देवी रोने बिलखने लगी. उसकी मार्मिक चीख से पूरा इलाका आंदोलित हो गया.
दोषी पुलिसकर्मियों पर प्राथमिकी की मांग
रविवार की सुबह इस बात की जानकारी आसपास के गांव में फैल गयी. पुलिस पिटायी से संत जी की मौत की जानकारी होते ही भोंरहां, जजुआर, जजुआर पश्चिमी, कटाई सहित आधे दर्जन गांव के लोग घटनास्थल पर पहुंच गये. दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर आंदोलन और बवाल शुरू कर दिया. घटना के 12 घंटे बाद पूर्वी डीएसपी गौरव पांडे, इंस्पेक्टर मनोज कुमार सिंह के साथ ही अन्य पुलिस पदाधिकारी वहां पहुंचे. पुलिस पदाधिकारियों को देखते ही आक्रोशित लोग उबल पड़े. नारेबाजी करते हुए दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग शुरू कर दी. लोग गिरफ्तार लोगों को मुक्त करने के साथ ही संत जी की पिटायी करनेवाले थानेदार सहित अन्य आधे दर्जन पुलिस कर्मियों पर हत्या की प्राथमिकी दर्ज करने की मांग कर रहे थे.
लेकिन पुलिस उनकी मांगों को नजरअंदाज करते हुए शव को उठा पोस्टमार्टम के लिए भेजना चाहती थी. पुलिस के इस प्रयास का खामियाजा भी भुगतना पड़ा. लोगों ने पथराव शुरू कर दिया. दो जवान घायल हुए तो पुलिस को बचाव में लाठी चार्ज करनी पड़ी. भीड़ तितर-बितर जरूर हुई. लेकिन फिर गोलबंद होकर विरोध करना शुरू कर दिया. देर शाम तक पुलिस व स्थानीय लोगों के बीच तकरार चलता रहा. कई बार पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा. पुलिस लाठी और आंसू गैस के गोले का भय दिखाती रही. लेकिन अपने मांग के साथ वहां डटे लोग पुलिस के सारे पैंतरा का जवाब एकजुटता से देते रहें. अंत में पुलिस को पीछे हटना पड़ा. पूरी रात पुलिस वहां वेट और वाच की स्थिति में रही. लोग भी अपने संत जी के शव की सुरक्षा में डटे रहे. हालांकि देर रात पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.