मनमानी. बांध निर्माण के दौरान मानक की अनदेखी कर मनमाने तरीके से की गयी थी मिट्टी की कटाई
मुजफ्फरपुर : विकास के नाम पर बागमती बांध परियोजना निर्माण में दबंगतापूर्वक किसानों के खेत से मनमाने तरीके से मिट्टी की कटाई की गई. इसमें ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के मानक के सिद्धांत के विपरीत काम हुआ. बांध निर्माण में ठेकेदार के कांट्रैक्टर के रूप में जनप्रतिनिधियों के करीबी, नक्सली व अपराधियों ने काम करवाया. कंपनी ने इन सभी का सहारा िलया था. इस बात की चर्चा बांध के इलाके में अब भी होती है.
दबंगों के गठजोड़ के कारण किसानों के खेत से मनमाने तरह से मिट्टी की कटाई हुई. मिट्टी की कटाई के वर्चस्व में दो नक्सली व एक डीलर की हत्या भी 2011 में हुई. उससे कुछ दिन पहले आजाद हिंद फौज का गठन हुआ था. नक्सलियों के साथ आजाद हिंद फौज व संतोष झा ग्रुप ने भी पेटी कांट्रैक्टर के रूप में काम किया. नतीजा यह हुआ कि इन इलाकों के किसानों की स्थिति बदहाल हो गयी. गुड़हन व जलजमाव के कारण किसानों को खेती करना भी मुश्किल हो गया. मिट्टी लूट से जमीन की सूरत ही बदल गयी. हत्या व अपराध के इस दौर में प्रशासनिक हस्तक्षेप नहीं हुआ.
किसानों के िहत की बात करनेवालों ने न तो बांध की सुरक्षा पर ध्यान दिया, और न ही किसानों के भविष्य का ख्याल रख पाये. परिणाम यह हुआ कि सीतामढ़ी के मेजरगंज से मुजफ्फरपुर के कटरा औराई तक के बीच के सैकड़ों गांव के किसान तंगहाली के कगार पर पहुंच गये हैं. वे खेती करने में असमर्थ है. किसानों के मुताबिक इस मिट्टी लूट में अपराधियों से लेकर जनप्रतिनिधियों के समर्थकों ने भय का ऐसा माहौल बनाया कि विरोध की हिम्मत जुटाना भी संभव नहीं हो सका. जिसने भी विरोध करने की कोशिश की, उसे मुकदमों में फंसा दिया गया और विकास विरोधी करार दिया गया. वैसे भी बागमती के तटवर्ती इलाके अपराधियों के सेफ जोन बरसों से रहे हैं, जहां पुलिस का नियंत्रण कम और अपराधियों का वर्चस्व अधिक रहा है. गैंगवार की भी कई घटनाएं हो चुकी है. हर गैंग एक दूसरे को मात देने के लिए वारदात करता रहा.
पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की बात करती रही, लेकिन कभी भी किसी घटना की गंभीरता से जांच नहीं हुई. मिट्टी लूट से जुड़े मुद्दे को उभारने और सरकार व प्रशासन का ध्यान खींचने का काम भी नहीं किया गया, जिससे मनमाने तरीके से मिट्टी की कटाई की गयी.
संघर्ष यात्रा के अध्यक्ष शशिशेखर ने बताया कि बांध निर्माण में मनमाने तरीके से मिट्टी की लूट हुई, जिसमें नेता, अधिकारी, ठेकेदार और अपराधिक प्रवृित्त के लोग शािमल थे. उन्होंने भी इसका विरोध किया था जिसके बाद उनके ऊपर भी दो दलित उत्पीड़न के मामले दर्ज करा दिये गये. मारने तक की कोशिश की गयी. काफी दिनों तक धमकियां भी दी जाती रहीं.
बागमती बांध परियोजना का दंश झेल रहे इलाके के लाेग
सरकारी िनयमों तक का नहीं रखा गया ख्याल
राजनीतिज्ञ, ठेकेदार, अधिकारी व अपराधिक प्रवृित्त के लोगों का था गठजोड़
भयाक्रांत किसान के खेतों से मनमाने तरीके से काटी गयी मिट्टी
मिट्टी विवाद को लेकर हुई थी दो नक्सली व एक डीलर की हत्या
मानक के अनुसार मिट्टी नहीं काटने से समस्या