तारापुर/ हवेली खड़गपुर/ संग्रामपुर. गणेश चतुर्थी पर सुहागिन महिलाओं ने निर्जला उपवास रहकर हरितालिका तीज का व्रत की. वहीं महिलाओं ने चौठचंदा कर संध्या बेला में भगवान चंद्रदेव की पूजा-अर्चना कर अर्घ अर्पित की. महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु एवं सुख-समृद्धि की कामना को लेकर भगवान शंकर, मां पार्वती, विघ्नहर्ता गणेश एवं भगवान चंद्रदेव की आराधना की.
तारापुर.
प्रखंड क्षेत्र में गणेश चतुर्थी, हरितालिका तीज एवं चौठचंदा का पर्व भक्तिपूर्ण माहौल में मनाया गया. दो दिनों तक चलने वाले गणेश चतुर्थी का पर्व सोमवार को नहाय खाय एवं संयम के साथ आरंभ हुआ. जबकि मंगलवार को व्रतियों ने पूरे दिन निर्जला उपवास रहकर संध्या में बास के बने डालिया में ठेकुआ, फल-फूल, दही, नारियल, ईख एवं मिठाई के साथ भगवान चंद्रदेव की आराधना की. व्रती अनिता दास ने बताया कि इस पर्व को करने से परिवार में सुख शांति एवं आर्थिक उन्नति होती है और शारीरिक कष्ट से मुक्ति मिलती है. वहीं सुहागिन महिलाओं ने तीज का भी त्यौहार पूरी श्रद्धा एवं आस्था के साथ मनाया. महिलाएं सोलह सिंगार कर भगवान भोलेनाथ की आराधना की और 24 घंटे तक निर्जला उपवास में रहकर रात्रि जागरण भी की. ऐसी मान्यता है कि तीज के व्रत को करने से महिला के पति की उम्र लंबी होती है तथा परिवार में सुख-शांति बनी रहती है. पर्व को लेकर शाम तक बाजार में खासा चहल-पहल बनी रही. देर शाम के बाद बाजार में वीरानी छा गई.हवेली खड़गपुर.
प्रखंड के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी उम्र की कामना को लेकर हरितालिका व्रत (तीज) और चौथचंदा का व्रत रखा. महिलाएं अपने पति के दीर्घायु जीवन की कामना को लेकर निराहार रहकर भगवान शिव और पार्वती की पूजा के साथ विघ्नहर्ता गणेश का भी भक्तिभाव के साथ पूजन की. वहीं चौथचंदा व्रतधारी महिलाओं ने दिनभर उपवास रहकर देर शाम चंद्रमा को अर्ध्य अर्पित किया. इस दौरान महिलाओं की ओर से तीज और चौथ चंदा व्रत की महिमा से जुड़े गीत व भजन से माहौल भक्तिमय बना रहा. अर्ध्य अर्पित करने के उपरांत व्रतधारी महिलाओं ने आहार ग्रहण किया. वहीं तीज व्रत धारी महिलाएं बुधवार की सुबह पूजा अर्चना के उपरांत अपना व्रत तोड़ेंगी.संग्रामपुर.
सुहागिन महिलाओं ने श्रद्धा और उल्लास के साथ हरितालिका तीज व्रत कर भगवान शंकर व मां पार्वती की आराधना की. इस वर्ष व्रत का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:30 बजे तक ही था. जिसके कारण सुबह से ही महिलाओं ने तैयारियां आरंभ कर दी. परंपरा अनुसार सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव-पार्वती की आराधना की और कथा का श्रवण किया. मान्यता है कि हिमालय की पुत्री पार्वती ने कठोर तप कर हरितालिका तीज का व्रत किया था, जिसके फलस्वरूप उन्हें भगवान भोलेनाथ के रूप में पति प्राप्त हुआ था. तभी से यह व्रत पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि एवं दांपत्य जीवन की मंगलकामना हेतु सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाया जाता है. महिलाओं ने निर्जला उपवास रखकर दिनभर पूजा-अर्चना की और माता पार्वती को सुहाग्य सामग्री अर्पित कर मनोकामना पूर्ति हेतु प्रार्थना की. व्रत का पारण बुधवार की सुबह शिव-पार्वती प्रतिमा के विसर्जन के साथ होगा. त्योहार को लेकर सोमवार शाम से ही बाजारों में भारी भीड़ लगी रही.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

