मुंगेर. जिलाधिकारी निखिल धनराज ने कहा कि जेल सिर्फ सजा के लिए नहीं, बल्कि सुधार के लिए होता है. दंड देने का मकसद दोषियों को जीवन में सुधार का भी मौका देना होता है. इसके पीछे की सोच यही है कि अपने आचरण में सुधार से व्यक्ति खुद के लिए भविष्य की नयी कहानी लिखने में सक्षम बने. आपलोगों जेल में सीखे कौशल का बहार निकलने के बाद सदुपयोग कर अपना भविष्य संवारे और समाज की मुख्यधारा से जुड़े. ये बातें शुक्रवार को बिहार कारा दिवस सह बंदी दरबार कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कही. जिलाधिकारी ने जेल में रहते हुए पढ़ कर मैट्रिक, इंटर की परीक्षा में पास तथा कंप्यूटर शिक्षा प्राप्त करने वाले बंदियों के बीच भी प्रशस्ति पत्र वितरित किया, जबकि बंदियों की समस्याओं को भी सुना गया. डीएम ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि मंडल कारा में बंद बंदियों द्वारा यहां रहकर पढ़ाई करते हुए मैट्रिक तथा इंटर की परीक्षा पास किया. साथ ही कंप्यूटर क्लास कर कंप्यूटर की दक्षता परीक्षा में भी बंदी उत्तीर्ण हुए है. जो यह दर्शाता है कि बंदी यहां आकर अपराध की दुनिया से खुद को अलग कर रहे हैं तथा समाज की मुख्य धारा से जुड़ने के लिए न सिर्फ पढ़ाई कर शिक्षित हो रहे हैं, बल्कि यूको-आरसेटी द्वारा दिए जा रहे विभिन्न स्वरोजगार उन्मुखीकरण प्रशिक्षणों के माध्यम से प्रशिक्षित होकर कई प्रकार के हुनर भी सीख रहे हैं. इससे उन्हें अपना सजा के बाद बाहर निकलने पर वे समाज की मुख्य धारा से तो जुड़ेंगे ही बल्कि प्रशिक्षित रहने से उन्हें स्वयं का रोजगार करने का भी अवसर प्राप्त होगा. उन्होंने सभी बंदियों से अपील करते हुए कहा कि आप सभी यहां रह कर खुद को अपराध से विमुख करें तथा एक प्रण लें कि यहां से जब भी बाहर जाएंगे अपराध के दलदल में फिर कदम नहीं रखेंगे तथा समाज में स्वयं भी अपनी एक अलग पहचान बनाएंगे. उन्होंने वहां बंदियों की समस्याओं को भी सुना तथा तत्काल कारा अधीक्षक को उन समस्याओं के निराकरण करने के निर्देश दिया. मौके पर कारा अधीक्षक किरणनिधि, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी पंकज कुमार गुप्ता सहित अन्य उपस्थित थे.
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