– शहर की रफ्तार पर ई-रिक्शा का ब्रेक, सुविधा से ज्यादा परेशानी का सबब
जिम्मेदारों की चुप्पी ने बढ़ायी परेशानीमुंगेर
बदलते परिवेश में यातायात वाहनों में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. कल तक धुंआ उगलने वाली वाहनों की भरमार थी. जो शहर की आबोहवा में जहर उगल रही थी. जिसके कारण आज सीएनजी और ई-रिक्शा की भरमार शहर में हो गयी. जिसे यात्रियों ने सर आंखों पर उठा लिया, लेकिन आज ई-रिक्शा सुविधा से ज्यादा परेशानी का सबब बन गया है. शहर की रफ्तार पर ई-रिक्शा का ब्रेक लगने लगा है. शहर में आज 3000 से अधिक ई-रिक्शा का परिचालन हो रहा है. इनकी मनमानी का आलम यह है कि जहां मन किया. वहीं पर स्टैंड बना लिया और जहां-तहां गाड़ी खड़ी कर सवारी चढ़ाना व उतारना शुरू कर देते है. जिस पर ट्रैफिक पुलिस का कोई कंट्रोल नहीं है. जबकि ज्यादातर ई-रिक्शा बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहा है. इनके लिए ड्राइविंग लाइसेंस भी कोई मायने रखता है. हद तो यह है कि न तो रूट का ठिकाना है और न ही स्टैंड का पता है. यही कारण है कि शहर की ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गयी और हर तरफ जाम की समस्या उत्पन्न हो रही है.शहर में अवैध पार्किंग का साम्राज्य, लगता है जाम
तमाम प्रयास के बावजूद शहर में ई-रिक्शा का मनमाना परिचालन जारी है. इसके चलते हमेशा विभिन्न मार्गो पर जाम की स्थिति बनी रहती है. खासकर रेलवे स्टेशन व प्राइवेट टैक्सी स्टैंड के आसपास बेतरतीब इन ई-रिक्शा के खड़े होने के कारण जाम की स्थिति बनी रहती है. शहर के प्रमुख पूरबसराय रेलवे अंडर ब्रिज, एक नंबर ट्रैफिक, कौड़ा मैदान, कोर्णाक मोड़, अंबे चौक, नीलम चौक, शीतला स्थान चौक, सदर अस्पताल गेट, सितारिया चौक, राजीव गांधी चौक, गांधी चौक सहित शहर के दर्जनों स्थानों पर ई-रिक्शा का बेतरतीब पॉर्किंग व परिचालन से जाम की समस्या उत्पन्न हो रही है. इसमें से अधिकांश स्थानों पर ट्रैफिक पुलिस की मौजूदगी है, लेकिन वह मुकदर्शक बने रहते है. हद तो यह है कि जब चार पहिया व मोटर साइकिल चालक व पैदल राहगीर विरोध करते है तो ई-रिक्शा चालक एकजुट होकर उससे भिड़ जाते है.हफ्ते भर में प्लान की निकल जाती है हवा
ऐसा नहीं है कि ई-रिक्शा चालकों के लिए प्रशासनिक एवं यातायात थाना की ओर से प्लान नहीं बनता है. अधिकांश प्लान कागजों पर ही सिमट कर रह जाती है और जो प्लान जमीन पर उतारने का प्रयास होता है. उसकी हफ्ते भर में ई-रिक्शा चालक हवा निकाल देते है. पूर्व में ई-रिक्शा चालकों के लिए प्लान बना था कि कस्तूरबा वाटर वर्क्स चौक से बड़ी बाजार रोड में वन वे रहेगा. गांधी चौक से एक नंबर ट्रैफिक तक ई-रिक्शा का परिचालन नहीं होगा, लेकिन यह नियम हफ्ते भर भी कारगर साबित नहीं हुआ, क्योंकि ई-रिक्शा चालक इन नियमों की ऐसी-तैसी कर देते है.
न रूट का पता और न ही स्टैंड का ठिकाना
पिछले 10 सालों से ई-रिक्शा का परिचालन इस शहर में हो रहा है. हर दिन इसकी संख्या बढ़ती जा रही है. हालात यह है कि इनके लिए न तो स्टैंड का ठिकाना है और न ही रूट का पता है. बस जिधर चाहा उधर ई-रिक्शा लेकर घुस जाते है और जहां मन करता है वहीं पर स्टैंड बना लेते है. भीड़-भाड़ वाले बाजार में भी जहां इनका मन करता है. वही पर गाड़ी खड़ी कर सवारी उतारने और बैठाने का काम शुरू कर देते है. जिसके कारण शहर में जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
जिम्मेदारों की चुप्पी ने ई-रिक्शा चालकों का बढ़ाया मन
शहर में जितना रजिस्टर्ड ई-रिक्शा का परिचालन हो रहा है, उससे अधिक अवैध ई-रिक्शा का परिचालन हो रहा है. इनके लिए न तो ड्राइविंग लाइसेंस कोई मायने रखता है और न ही वाहन का निबंधन होना. हद तो यह है कि इस पर लगाम लगाने के लिए जिम्मेवार परिवहन विभाग और यातायात थाना दोनों ने चुप्पी साध रखी है. जिसके कारण ई-रिक्शा चालकों का मन काफी बढ़ा हुआ है. हद तो यह है कि आधे दर्जन से अधिक स्थानों पर यातायात पुलिस की तैनाती है, बावजूद उनके सामने ई-रिक्शा चालक वाहन को बीच सड़क पर ही खड़ा कर देते है.
शहर की सड़कों पर 3 हजार से अधिक दौड़ रही ई-रिक्शा
3 हजार से अधिक ई-रिक्शा और 300 से अधिक सीनजी और 300 के करीब डीजल ऑटो है. जिसमें से अधिकांश यानी 80 प्रतिशत ई-रिक्शा शहरी क्षेत्र में ही चलते है. सीएनजी ऑटो का 50 प्रतिशत परिचालन रिजर्व में होता है. शहर की सड़कों का हाल यह है जिधर देखे उधर ही ई-रिक्शा दौड़ती आपको मिल जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

