सीआरएम विजिट के पूर्व अस्पताल की बदहाल व्यवस्था बढ़ा सकती है परेशानी
मुंगेर———————
मुंगेर सदर अस्पताल को 100 बेड का मॉडल अस्पताल मिलने के बाद लोगों को लगा था कि अब यहां चिकित्सीय सुविधा गुणवत्तापूर्ण मिलेगी. लेकिन सुविधाएं बढ़ने के साथ अस्पताल में मरीजों के लिये चिकित्सीय बदहाली बढ़ती जा रही है. हाल यह है कि मॉडल अस्पताल में जहां मरीजों के लिये अलग-अलग वार्ड की तो व्यवस्था दिख जाती है, लेकिन पूर्व की तरह अब विशेषज्ञ चिकित्सकों का राउंड नियमित रूप से इन वार्डों में नहीं होता है. जिसके कारण अधिकांश मरीजों को किसी विपरित परिस्थिति में चिकित्सीय परामर्श लेने के लिये पहले या दूसरे फ्लोर से ग्राउंड फ्लोर पर संचालित इमरजेंसी वार्ड आना पड़ता है. सदर अस्पताल में यह हाल तब है, जब इसी माह सेंट्रल के सीआरएम टीम का विजिट मुंगेर जिले में होना है. ऐसे में अस्पताल की बदहाल व्यवस्था खुद अस्पताल प्रबंधन के लिये मुश्किल बढ़ा सकता है.पूर्व में विशेषज्ञ चिकित्सक करते थे वार्डों का राउंड
मॉडल अस्पताल बनने के पूर्व सदर अस्पताल के पुराने भवनों में ही पुरूष मेडिकल, पुरूष सर्जिकल, महिला वार्ड सहित अन्य वार्डों का अलग-अलग संचालन होता था. उस समय पुरूष मेडिकल वार्ड में राउंड की जिम्मेदारी सिविल सर्जन डॉ रामप्रवेश प्रसाद के कंधों पर थी. जबकि पुरूष सर्जिकल जहां मारपीट, सड़क दुर्घटना या अन्य दुर्घटनाओं में घायलों को भर्ती किया जाता था. उसमें राउंड की जिम्मेदारी वर्तमान अस्पताल उपाधीक्षक डॉ निरंजन कुमार के कंधों पर थी. वहीं इससे अलग महिला वार्ड में नियमित रूप से डॉ रमन कुमार का राउंड होता था. जबकि सबसे संवेदनशील आईसीयू वार्ड में पूर्व में डॉ के रंजन द्वारा नियमित रूप से राउंड किया जाता था. इन वार्डों में विशेषज्ञ चिकित्सकों का राउंड होने से मरीजों को सुलभ और सही उपचार के साथ नियमित रूप से चिकित्सीय परामर्श मिलता था.अब सामान्य चिकित्सक ही करते हैं राउंड
अस्पताल प्रबंधन द्वारा जारी डॉक्टर ड्यूटी रोस्टर की मानें तो सभी वार्डों में नियमित रूप से चिकित्सक का राउंड होता है, लेकिन अब पूर्व की तरह विशेषज्ञ चिकित्सक की जगह, एक ही चिकित्सक महिला वार्ड, पुरूष मेडिकल वार्ड, पुरूष सर्जिकल वार्ड तथा आईसीयू वार्ड का राउंड करते है, लेकिन इससे अलग सदर अस्पताल में दूसरे तल पर बने आईसीयू वार्ड, पुरूष मेडिकल, पुरूष सर्जिकल, कैदी वार्ड तथा महिला वार्ड में अब नियमित रूप से चिकित्सकों का राउंड नहीं होता. हलांकि दो या तीन दिन के अंतराल पर किसी एक चिकित्सक द्वारा वार्ड का राउंड किया जाता है, लेकिन नियमित राउंड नहीं होने के कारण मरीजों को विशेष परिस्थिति में दूसरे तल से उतर कर निचले तल पर संचालित इमरजेंसी वार्ड आना पड़ता है.कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक
सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ निरंजन कुमार ने बताया कि अलग-अलग दिन अलग-अलग चिकित्सकों को राउंड की जिम्मेदारी दी गयी है. जिनके द्वारा अपने निर्धारित दिन सभी वार्डों का राउंड किया जाता है. ——————————————बॉक्स
——————————————कहते हैं मरीज
–
सोमवार की सुबह 10.55 में भर्ती हुये हैं. शरीर व कमर में तेज दर्द होने के कारण इमरजेंसी में डॉक्टर द्वारा भर्ती किया गया. लेकिन भर्ती होने के बाद से कोई डॉक्टर देखने नहीं आया है. सोमवार रात को ही दोबारा दर्द उठनेे के बाद इमरजेंसी जाकर डॉक्टर से दवा लिखवाना पड़ा था.सुशीला देवी, 60 वर्षीय, शिवकुंड
————————————-– पैरालाइसिस होने के बाद नीलम देवी को लेकर सदर अस्पताल 4 नवंबर को ही आये थे. उस दिन दवा देने के बाद वार्ड में भर्ती कर लिया गया, लेकिन उसके बाद से कोई चिकित्सक देखने तक नहीं आया है. ज्यादा परेशानी होने पर इमरजेंसी वार्ड जाना पड़ता है.नीलम देवी, 70 वर्षीय, नयारामनगर
——————————————– सांस की तकलीफ होने के बाद 3 नवंबर को ही अस्पताल आये थे. जहां भर्ती तो कर लिया गया, लेकिन प्रतिदिन चिकित्सक नहीं आते थे. जब से आये हैं, तब से एक बार चिकित्सक आये हैं. जबकि नर्स आती है और दवा देकर चली जाती है. कुछ होने पर नीचे इमरजेंसी वार्ड में जाना पड़ता है.वीना देवी, 60 वर्षीय, पाटम
————————————————– बेहोशी की हालत में ही 4 नवंबर को लेकर अस्पताल आये थे. जहां चिकित्सक द्वारा वार्ड में भर्ती कर दिया गया. उसके बाद से चिकित्सक एक बार ही आये हैं. ज्यादा तकलीफ होने पर नर्स द्वारा नीचे इमरजेंसी वार्ड जाकर दवा लिखवाने को कहा जाता है. जिससे परेशानी होती है.रेणु देवी, – 68 वर्षीय, कोड़ा मैदान B
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

