संग्रामपुर
नगर पंचायत संग्रामपुर के गठन को लगभग तीन वर्ष बीत चुके हैं. लेकिन विकास कार्य के नाम पर अबतक कोई ठोस उपलब्धि दर्ज नहीं की जा सकी है. जबकि तीन वर्ष में सात कार्यपालक पदाधिकारी आये और गये, फिर भी विकास की नींव तक नहीं रखी गई, सिर्फ सफाई कार्य तक नगर पंचायत तक सिमट गया है. जर्जर सड़क, टूटे नाले नगर पंचायत के वार्डों की पहचान बन गई है.जर्जर सड़क, टूटे नाले नगर पंचायत की बनी है पहचान
नगर के अधिकांश वार्डों की स्थिति जस की तस बनी हुई है. सड़कें जर्जर हैं, नाले टूटे पड़े हैं और नल-जल योजना के तहत जलापूर्ति भी नहीं हो पा रही है. तीन वर्षों में सात कार्यपालक पदाधिकारी बदल चुके हैं, पर हालात में कोई सुधार नहीं हुआ. जबकि सातवें कार्यपालक पदाधिकारी के रूप में रवि शंकर सिंह ने हाल ही में योगदान दिया है. लेकिन उनके योगदान देते ही बिहार विधानसभा चुनाव का अधिसूचना जारी हो गया और सभी नए विकास कार्य ठप पड़ गए. स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर पंचायत बनने के बाद सड़क, नाला, पेयजल और स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं में सुधार की उम्मीद थी. लेकिन स्थिति उलट है.सफाई को छोड़, एक भी विकास कार्य नहीं हुआ
वार्ड संख्या 3 की रेखा देवी ने बताया कि बारिश के मौसम में जलजमाव आम बात है. वार्ड संख्या 7 के पवन कुमार ने कहा कि नल-जल योजना के तहत पानी का सप्लाई अक्सर बाधित रहता है. जिससे लोगों को पीने के पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है. नगर पंचायत में केवल सफाई व्यवस्था ही है जो क्षेत्र में कुछ हद तक दिखाई देता है. जबकि अन्य विभाग पूरी तरह निष्क्रिय है. स्थानीय नागरिकों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि नगर पंचायत का गठन विकास के उद्देश्य से हुआ था. परंतु अबतक धरातल पर कोई कार्य नहीं हुआ.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

