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ग्रामीण क्षेत्राें में खुलेआम बिना चिकित्सीय परामर्श के मिल रहीं प्रतिबंधित दवाएं

जिला औषधि विभाग में वैसे तो तीन औषधि निरीक्षक (ड्रग इंस्पेक्टर) हैं, जिनके कंधों पर जिले में दवाओं के खरीद, बिक्री व वितरण के जांच की जिम्मेदारी है.

औषधि विभाग जिले में संचालित दवा दुकानों की जांच को लेकर पूरी तरह लापरवाह

मुंगेर. जिला औषधि विभाग में वैसे तो तीन औषधि निरीक्षक (ड्रग इंस्पेक्टर) हैं, जिनके कंधों पर जिले में दवाओं के खरीद, बिक्री व वितरण के जांच की जिम्मेदारी है, लेकिन औषधि विभाग की लापरवाही के कारण जिले में संचालित दवा दुकानों में खुलेआम बिना चिकित्सीय परामर्श के ही प्रतिबंधित दवाएं लोगों को दी जा रही है. वहीं बिना जानकारी के इन प्रतिबंधित दवाओं का सेवन कर लोग खुद के जान से ही खिलवाड़ कर रहे हैं. सदर अस्पताल में रविवार को कुछ ऐसा ही देखने को मिला. जहां एक महिला ने पति से विवाद के बाद गर्भपात में चिकित्सीय परामर्श के दौरान उपयोग किये जाने वाली प्रतिबंधित दवा के तीन टेबलेट का सेवन कर लिया, जो उसके पति ने बिना किसी चिकित्सीय परामर्श के ही दवा दुकान से खरीदी थी. वहीं महिला की हालत बिगड़ने पर उसे सदर अस्पताल लाया गया, जहां चिकित्सक द्वारा महिला का इलाज किया गया.

बिना जानकारी के दवाओं के सेवन से लोग कर रहे अपनी ही जान से खिलवाड़

बता दें कि कई ऐसी दवाएं हैं, जो चिकित्सीय परामर्श के बाद ही किसी भी दवा दुकानदार को मरीजों को दिया जाना है. इसमें एक दवा गर्भपात के लिए दिये जाने वाली दवा मेफिप्रिरस्टोन टेबलेट आईपी है. वैसे तो इस दवा का उपयोग करने से चिकित्सक भी मना करते हैं, लेकिन अधिक आवश्यकता पड़ने के बाद ही इस दवा का सेवन गर्भपात के लिए चिकित्सक द्वारा निर्धारित डोज के अनुसार ही किया जाता है, लेकिन मुंगेर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में यह दवा खुलेआम दवा दुकानदारों द्वारा मरीजों को बिना चिकित्सीय परामर्श के ही दी जा रही है. ऐसे में जहां मुंगेर जिले में अधिकांश दवा दुकानें बिना मानक के और बिना फार्मास्सिट के संचालित हो रही हैं. वैसे में दवा दुकानों पर इन प्रतिबंधित दवाओं को बिना चिकित्सीय परामर्श के देना लोगों की जान से खिलवाड़ करना ही है.

प्रतिबंधित दवा खाकर महिला की बिगड़ी तबीयत

रविवार को सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में बरियारपुर प्रखंड के रतनपुर गांव की एक 20 वर्षीय महिला इलाज के लिए पहुंची. जिसने पति से विवाद के बाद घर में रखा मेफिप्रिरस्टोन टेबलेट आईपी की तीन टेबलेट एक साथ खा ली थी, जिसकी तबीयत बिगड़ने के बाद परिजन उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल लेकर पहुंचे. इस दौरान महिला के पति ने बताया कि उसकी पत्नी पूर्व में गर्भवती हुई थी. जिसके लिए उसने बरियारपुर बाजार में एक दवा दुकान पर जाकर गर्भपात की दवा मांगी थी, जिसके बाद दवा दुकानदार ने उसे मेफिप्रिरस्टोन टेबलेट आईपी का एक पूरा पत्ता दिया था. जिसके लिए दवा विक्रता ने उससे 500 रुपये भी लिये थे. जब उससे पूछा गया कि इस दवा को लेने के लिए क्या किसी चिकित्सक द्वारा लिखा गया था, तो उसने बताया कि केवल दवा दुकान पर जाकर गर्भपात की दवा मांगने पर ही दवा दुकानदार द्वारा यह दवा दी गयी थी.

बिना पंजीकरण के ही संचालित हो रहीं कई दवा दुकानें

नियमानुसार किसी भी प्रकार के थोक व खुदरा दवा दुकान के लिए पहले दुकान का पंजीकरण औषधि नियंत्रण विभाग से कराना होता है. जबकि इसके लिए दवा दुकान पर फॉर्मास्सिट का होना भी अनिवार्य है, लेकिन मुंगेर जिले में कुकरमुत्तों की तरह संचालित अवैध दवा दुकानों में न तो फार्मास्सिट उपलब्ध हैं और कई दुकानें तो बिना पंजीकरण के ही संचालित हो रही हैं. यह हाल तब है, जब जिले में औषधि नियंत्रण के लिए तीन ड्रग इंस्पेक्टर मौजूद हैं. जिनके कंधों पर मुंगेर जिले में संचालित दवा दुकानों की निगरानी है, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण जिले में अवैध दवा दुकानें लोगों की जान से खिलवाड़ कर रही हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में नियमित रूप से दवा दुकानों की जांच की जा रही है. साथ ही सभी दुकानदारों को वैसे प्रतिबंधित दवाएं, जो बिना चिकित्सीय परामर्श के नहीं दी जानी है, उस पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है, यदि बरियारपुर में इस प्रकार की दवा दी गयी है तो वहां के दुकानों की दोबारा जांच की जायेगी.

अभिनीत सौरभ, ड्रग इंस्पेक्टर-3B

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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