बरियारपुर. पानी अंदर तक घुस गया है. बाढ़ की भयावहता निचले इलाकों में रहने वाले निवासियों पर कहर बरपा रही है. लोग बेघर हो गए हैं और खुले में रहने को मजबूर हैं, जिससे चूल्हा जलाना मुश्किल हो गया है. इसलिए वे सूखे खाने पर गुज़ारा कर रहे हैं. अब, गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण बाढ़ बेहद विकराल हो गई है. लोग अपने घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं.
रूखे-सूखे भोजन से कट रही जिंदगी
बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई है कि लोग अपने जलमग्न घरों को छोड़कर खुले आसमान के नीचे शरण लिए हुए हैं. वे दाने-दाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उनका दर्द किसी को नहीं दिख रहा. बाढ़ से बेघर हुए लोगों को घर बनाने के लिए पॉलीथिन तक नहीं मिल रहा है. नीरपुर पंचायत के लालजी टोला, नाजिरा और मुरला मुशहरी जैसे दर्जनों गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं. लोग अपने परिवारों के साथ रेल की पटरियों या सड़कों के किनारे रह रहे हैं.भूखे से मवेशियों की हालत भी दयनीय
पशुपालक भी अपने मवेशी को लेकर एनएच 80 मार्ग पर रह रहे हैं. मवेशी के लिए उन्हें चारा नहीं मिल पा रहा है. बाढ़ पीड़ित खुले में रहने को विवश हैं. बाढ़ के पूर्व अधिकारियों ने बैठक कर तैयारी की खूब समीक्षा की. अब बाढ़ अपने चरम पर है तो सारी तैयारी कागजों में रह गयी. सरकारी स्तर पर कोई भी आवश्यक सुविधा नहीं मिल पा रही है. शकहरा टोला, बरियारपुर बस्ती एवं गांधीपुर गांव को बचाने के लिए ऋषिकुंड हॉल्ट के समीप बनी बांध से बाढ़ का पानी ओवरफ्लो होकर गांव में प्रवेश कर रहा है. 15 हजार से ज्यादा की आबादी इससे प्रभावित होगी.जिला परिषद सदस्य लोजपा आर नेता दुर्गेश सिंह ने प्रखंड में आई भीषण बाढ़ के बाद सरकारी स्तर पर किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं किये जाने से आक्रोश व्यक्त किया है. उन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों को सरकारी राहत नहीं मिल रही है. उन्होंने जिलाधिकारी मांग की है कि बाढ़ पीड़ितों के लिए पॉलिथीन, भोजन व मवेशी के लिए चारा की व्यवस्था कराई जाय.
———————————————————-चोरगांव व ढोलपहाड़ी गांव में घुसा बाढ़ का पानी
असरगंज. प्रखंड के अमैया एवं चोरगांव बहियार के निचले हिस्से में गंगा के जल स्तर में लगातार वृद्धि जारी है. चोरगांव, अमैया एवं ढोल पहाड़ी गांव के चौर बहियार में तेजी से गंगा का पानी फैल रहा है. चोरगांव गांव के उत्तरवारी टोला एवं ढोल पहाड़ी गांव के उत्तरी हिस्से में कई घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. जबकि अमैया गांव के समीप निर्माणाधीन पंचायत सरकार भवन, मनरेगा भवन एवं आंगनबाड़ी केंद्र भी जलमग्न है. चौर बहियार में धान की फसल डूब जाने से किसान चिंतित है. वहीं मवेशी पालक अपने मवेशियों के साथ उंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं और उनके समक्ष चारा की समस्या उत्पन्न हो गई है. इधर अनुमंडल कृषि पदाधिकारी दीपक रश्मि, बिहार राज्य बीज निगम के पदाधिकारी एवं प्रखंड कृषि पदाधिकारी संजय चौधरी ने भी अमैया एवं चोरगांव क्षेत्र में पानी में डूबे फसल का निरीक्षण किया. इस संबंध में कृषि पदाधिकारी संजय चौधरी ने बताया कि 330 हेक्टेयर भूमि में धान की फसल बाढ़ से प्रभावित है. पानी निकलने के बाद फसल क्षति का आकलन किया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

