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सदर अस्पताल में नहीं हो रहा पीसीपीएनडीटी एक्ट का पालन

स्वास्थ्य विभाग के खुद के स्वास्थ्य संस्थान बिना पीसीपीएनडीटी एक्ट के निर्धारित मानक के अनुरूप संचालित हो रहा है.

चार साल पहले जिस चिकित्सक ने दिया इस्तीफा, उसके नाम पर अबतक अस्पताल का अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र निबंधित

मुंगेर. जिले में बिना मानक और निबंधन के संचालित निजी अल्ट्रासाउंड जांच केंद्रों पर भले ही आये दिन जिला स्वास्थ्य विभाग गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम (पीसीपीएनडीटी एक्ट) के तहत कार्रवाई करता हो, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के खुद के स्वास्थ्य संस्थान बिना पीसीपीएनडीटी एक्ट के निर्धारित मानक के अनुरूप संचालित हो रहा है. जिसपर न तो स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई कर रहा है और न ही अपने स्वास्थ्य संस्थानों में संचालित अल्ट्रासाउंड जांच केंद्रों का निबंधन कर रहा है. लापरवाही का आलम यह है कि लगभग 20 लाख की जनसंख्या वाले मुंगेर के सदर अस्पताल में जिस चिकित्सक डॉ गोविंद के नाम पर अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र निबंधित है. वह चार साल पहले ही इस्तीफा देकर जा चुका है, लेकिन सालों से सदर अस्पताल में एक्स-रे टेक्नीशियन अल्ट्रासाउंड जांच कर रहा है.

इस्तीफा दे चुके चिकित्सक के नाम अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र

पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत सरकारी व निजी स्वास्थ्य संस्थान में संचालित अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र सहित निजी तौर पर संचालित अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र का निबंधन आवश्यक है. साथ ही निर्धारित मानक के अनुरूप जिस चिकित्सक के नाम पर अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र निबंधित है. उस चिकित्सक द्वारा ही निर्धारित मानक के अनुरूप मरीजों का अल्ट्रासाउंड जांच करना है. ऐसे में चार साल पहले सदर अस्पताल में संचालित अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र का निबंधन भी डॉ गोविंद कुमार के नाम पर किया गया है, लेकिन आश्चर्य यह है कि जिस चिकित्सक के नाम पर सदर अस्पताल का अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र निबंधित है. वह साल 2021 में ही सदर अस्पताल से इस्तीफा दे चुके हैं, जबकि उनके नाम पर अबतक सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र संचालित हो रहा है.

एक्स-रे टेक्नीशियन कर रहा मरीज व गर्भवतियों का अल्ट्रासाउंड जांच

सदर अस्पताल या स्वास्थ्य विभाग के सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में किस प्रकार पीसीपीएनडीटी एक्ट की खुलेआम धज्जियां उड़ रही है. इसका अंदाजा केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक ओर जहां चार साल पहले इस्तीफा दे चुके चिकित्सक के नाम पर अबतक अस्पताल का अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र निबंधित हैं. वहीं सदर अस्पताल में सालों से मरीजों और गर्भवतियों का अल्ट्रासाउंड जांच एक्स-रे टेक्नीशियन द्वारा किया जा रहा है. उसमें भी यदि सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड जांच के आंकड़ों को देखें तो औसतन प्रतिदिन अस्पताल में 60 से 70 मरीजों और गर्भवतियों का अल्ट्रासाउंड जांच किया जाता है, जबकि जांच केंद्र सुबह नौ से अपराह्न दो बजे तक संचालित होता है. ऐसे में औसतन चार मिनट में एक मरीज का अल्ट्रासाउंड सदर अस्पताल में किया जा रहा है, जिससे जांच की गुणवत्ता को खुद ही समझा जा सकता है.

डॉ अर्चना का अल्ट्रासाउंड जांच के लिए निर्देशित किया गया है. हालांकि उनके द्वारा केवल गायनो अल्ट्रासाउंड जांच ही लिखा जा सकता है, लेकिन सदर अस्पताल में मरीजों का पूरा अब्डोमेन अल्ट्रासाउंड जांच होता है, ताकि मरीजों को बेहतर सुविधा और निशुल्क जांच मिल सके.

डॉ रामप्रवेश प्रसाद, सिविल सर्जन

क्या है पीसीपीएनडीटी एक्ट

मुंगेर. पीसीपीएनडीटी अधिनियम, जिसे गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम के रूप में भी जाना जाता है. यह 1994 में पारित एक कानून है. इसका मुख्य उद्देश्य भारत में कन्या भ्रूण हत्या को रोकना और लिंगानुपात में सुधार करना है. यह अधिनियम प्रसव पूर्व निदान तकनीकों के दुरुपयोग को प्रतिबंधित करता है. साथ ही विशेष रूप से लिंग चयन जांच को रोकता है. इस अधिनियम के तहत सरकारी व निजी स्वास्थ्य संस्थानों में संचालित अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र सहित निजी तौर पर संचालित अल्ट्रासाउंड जांच केंद्रों को भी पहले अपना निबंधन कराना पड़ता है. जिसके बाद जिस चिकित्सक के नाम पर जांच केंद्र निबंधित किया जाता है. उसके द्वारा ही मरीजों व गर्भवतियों का अल्ट्रासाउंड जांच किया जाता है.

पूर्व में जिले में कई निजी अल्ट्रासाउंड जांच केंद्रों पर हो चुकी है कार्रवाई

मुंगेर. मुंगेर स्वास्थ्य विभाग जिले में बिना मानक के संचालित अल्ट्रासाउंड जांच केंद्रों पर भले ही कार्रवाई करता है, लेकिन खुद के सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में बिना मानक के संचालित अल्ट्रासाउंड जांच केंद्रों के प्रति पूरी तरह लापरवाह बना है. बता दें कि साल 2023 में तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ पीएम सहाय के कार्यकाल के दौरान जिले में लगातार निजी अल्ट्रासाउंड जांच केंद्रों के विरुद्ध कार्रवाई की गयी थी. जिसमें हवेली खड़गपुर और बरियारपुर सहित कई प्रखंडों में संचालित निजी अल्ट्रासाउंड की जांच कर बिना मानक के संचालित जांच केंद्रों को सील भी किया गया था, लेकिन इस दौरान सदर अस्पताल सहित सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में बिना मानक के संचालित अल्ट्रासाउंड केंद्रों की जांच तक नहीं की गयी थी.

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